रायपुर । राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राज्य में संचालित गौण खनिजों के खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। एनजीटी की भोपाल बेंच ने रोक का आदेश जारी करते हुए पूरे मामले पर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब किया है।
जानकारी के अनुसार एनजीटी की सेंट्रल जोनल बेंच ने यह आदेश 6 नवंबर को जारी किया है। इसमें कहा गया है कि गौण खनिज (रेत, बरजी और गिट्टी आदि गौण खनिज में आते हैं) के खदानों से खनन के लिए जिला-स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (डीईआईएए) की तरफ से जारी सभी पर्यावरणीय स्वीकृति की राज्य-स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (एसईआईएए) के द्वारा पुर्नमूल्यांकन (री-अप्राईजल) जरुरी है। केवल डीईआईएए की स्वीकृति के आधार पर खनन नहीं किया जा सकता। डीईआईएए के बाद एसईआईएए की तरफ से नई पर्यावरणीय स्वीकृति जारी की जाएगी। एसईआईएए की मंजूरी के बाद ही खदानों के संचालन की अनुमति होगी।
एनजीटी के इस आदेश के आधार पर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल की तरफ से प्रदेश के अपने सातों क्षेत्रीय कार्यालयों रायपुर, दुर्ग- भिलाई, रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, जगदलपुर और अंबिकापुर को पत्र जारी किया है। इसमें क्षेत्रीय अधिकारियों को केवल डीईआईएए की स्वीकृति के आधार पर चल रही खदानों को तुंरत बंद करने का निर्देश दिया है। क्षेत्रीय अधिकारियों को 30 नवंबर को जारी इस पत्र में 3 दिन के भीतर यह भी जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं कि उनके क्षेत्राधिकार में कितनी खदानों को एसईआईएए की तरफ से नई पर्यावरणीय स्वीकृति दी गई है। बता दें कि प्रदेश के ज्यादातर गौंण खनजि खदान केवल डीईआईएए की स्वीकृति के आधार पर चल रहे हैं। अधिकांश के पास एसईआईएए का स्वीकृति आदेश नहीं है।
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