छत्तीसगढ़,24 फ़रवरी 2025 (वेदान्त समाचार)/ सारस पक्षियों की स्थिति चिंताजनक है। सारस (क्रेन) का सिर्फ एक जोड़ा बचा है, जो सरगुजा जिले के लखनपुर ब्लॉक में है। यह जोड़ा राज्य में अपनी प्रजाति का आखिरी प्रतिनिधि है। वहीं इनके एक चूजे को जानवरों ने मार दिया, जबकि दूसरा लापता है। ऐसे में ये सिर्फ दो ही बचे हैं।
हाल ही में छत्तीसगढ़ में सारस को लेकर एक शोध की गई है, जिसमें प्रतीक ठाकुर, एएम के भरोस, डॉ हिमांशु गुप्ता और रवि नायडू शामिल थे। इन्होंने अपने रिसर्च में सारस पक्षियों की स्थिति संकट में बताया है। साथ ही प्रदेश में पहली बार हिमालय का शिकारी परिंदा देखने की भी जानकारी दी।
छत्तीसगढ़ में 20 साल पहले 8-10 जोड़े थे
सरगुजा में 255 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां मिलती हैं, लेकिन इनमें सारस क्रेन का खास महत्व है। प्रदेश में 20 साल पहले सारस पक्षियों की संख्या 8 से 10 जोड़े यानी तकरीबन 20 पक्षी थे। वहीं 2015 में यह संख्या घटकर 4 जोड़े यानी 8 रह गई। 2-25 में सिर्फ 1 ही जोड़ा बचा है। इनकी घटती संख्या दर्शाती है कि आसपास के पर्यावरण में गड़बड़ी है।
2023 में एक चूजे को जंगली जानवरों ने मार दिया
रिसर्च में सारस को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। प्रतीक ठाकुर ने बताया कि सारस का यह जोड़ा बीते कई सालों से लखनपुर के जमगला और तराजू वाटर टैंक के आसपास देखा जा रहा है। 2022 में इनके दो चूजे हुए थे। उम्मीद जगी थी कि इनकी संख्या बढ़ेगी, लेकिन दिसंबर 2023 में एक चूजे को जंगली जानवरों ने मार दिया।
शोध के मुताबिक, सारस एक समय में दो ही बच्चे पैदा करते हैं, जिनमें से एक वयस्क होने से पहले ही मर जाता है। दूसरा चूजा ही वयस्क हो पाता है। उड़ना सीखा और अपने माता-पिता से जीवन के जरूरी हुनर सीखता है। हालांकि, हाल ही में वह भी लापता है। संभावना है कि वह अपने जीवनसाथी की तलाश में है।
इस जोड़े का मुख्य निवास लखनपुर है, लेकिन भोजन की तलाश में यह आसपास के खेतों, छोटे तालाबों और रीहंद नदी के किनारे तक जाता है। इनके सामने कई समस्याएं हैं। जैसे तालाबों में मछली पकड़ने की बढ़ती गतिविधियां, जालों से इनके घोंसलों को खतरा होता है।