वन्यजीव धरा की सम्पत्ति इसका संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी – डॉ. संजय गुप्ता


कोरबा, 4 अक्टूबर । विश्व वन्यजीव दिवस हमारे विश्व के लिए हमारी जिम्मेदारियों और हम इसे साझा करने वाले जीवन रूपों को याद दिलाने का दिन है। वन्यजीव हमें कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं और समय से पहले ही मन से निकल जाते हैं। विश्व हर संभव माध्यम से अद्भुत प्राणियों से भरा है। हवा के पक्षियों से लेकर समुद्र के राजसी व्हेल तक सबसे असामान्य और अप्रत्याशित स्थानों में वन्यजीवों का बसेरा है।


कुछ अजीबोगरीब विरोधाभास के चलते पूरे देश में आए दिन अस्थिरता का माहौल बनता रहता है । भारत में 1200 प्रजातियां हैं । इनमें से 370 प्रजातियां प्रवासी कहलाती हैं । इनकी निगरानी का कोई तरीका नहीं है । केवल एक एजेंसी है, जो पिछले कुछ दशकों में पक्षियों को रिंग पहनाने संबंधी आंकड़े जुटा पाई है । यह एजेंसी नियमित तौर पर यह कार्य नहीं करती । ऐसे महत्वपूर्ण जल स्त्रोतों और कौन-से व कितने पक्षी वहां सालाना प्रवास के लिए आते हैं, आदि के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए कोई राष्ट्रीय स्तरीय रणनीति नहीं है ।
भूमि पर रहने वाले पक्षी कृषि से जुड़े हैं । इन पर पेस्टिसाइड और कीटनाशकों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जो इन्हे भारी नुकसान पहुंचा रहा है । वन विभाग अकेले इन सारी चुनौतियों पर निगरानी रखने और उनसे निपटने में सक्षम नहीं हैं । कृषि, मृदा संरक्षण, सिंचाई और ऐसे ही अन्य संबध्द विभाग जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर छोड़ दी गई है ।


वन्य जीव संरक्षण दरअसल प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है । लोगों को अपना भविष्य बेहतर बनाने के लिए ही सह, वन्य जीव संरक्षण के लिए अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन करना ही होगा । विद्यार्थियों को विद्यालयों में इसकी शिक्षा दी जा रही है ।

वनों की कटाई का एक मुख्य कारण वनों की कटाई भी है। उनके मांस हड्डियों फर दांत बाल त्वचा आदि के लिए जंगली जानवरों की सामूहिक हत्याएं दुनिया भर में चल रही हैं। इसलिए वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता अब एक आवश्यकता बन गई है। जनसंख्या वृद्धि कृषि और पशुधन का विस्तार शहरों और सड़कों का निर्माण और प्रदूषण वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास पर कई दबावों में से हैं। अवैध शिकार के साथ-साथ निवास स्थान में कमी और इसके क्षरण ने उन क्षेत्रों की जैव.विविधता को खतरे में डाल दिया है जहाँ ये बड़े पैमाने पर हैं।


वन्यजीवों के संरक्षण का अर्थ सभी जीवों और फूलों की प्रजातियों के लिए एक कंबल संरक्षण नहीं है इसके बजाय यह पौधों और जानवरों के गुणन पर एक उचितए विवेकपूर्ण नियंत्रण का अर्थ है जो मनुष्य को एक उचित वातावरण प्रदान करने के लिए एक साथ बातचीत करता है जिसका अस्तित्व आज संकट में है। अतीत में पृथ्वी के प्राकृतिक और जैविक संसाधनों के तर्कहीन उपयोग के कारण अधिकांश वन्यजीव पुनः प्राप्ति से परे नष्ट हो गए हैं। पारिस्थितिक तंत्र के प्राकृतिक वैभव की रक्षा करना और पृथ्वी पर प्रत्येक जीवित प्राणी के साथ सह.अस्तित्व की एक प्रणाली विकसित करना हमारा तत्काल कर्तव्य है। वन्यजीव हमें कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं और समय से पहले ही मन से निकल जाते हैं। विश्व वन्यजीव दिवस हमारे विश्व के लिए हमारी जिम्मेदारियों और हम इसे साझा करने वाले जीवन.रूपों को याद दिलाने का दिन है। हवा के पक्षियों से लेकर समुद्र के राजसी व्हेल तक सबसे असामान्य और अप्रत्याशित स्थानों में वन्यजीवों का बसेरा है। विश्व हर संभव माध्यम से अद्भुत प्राणियों से भरा है।

दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में मनाया गया विश्व वन्य जीव दिवस जिसमें बच्चों को हमारे जीवन में वन्यप्राणियों का महत्व और उनके संरक्षण की जानकारियाँ दी गई । बच्चों को उनके संरक्षण के लिए वन्य जीव अभ्यारण की आवश्यकता के बारे में बताया गया एवं वन्य में कई प्रजाति के जीव विलुप्त होते जा रहें हैं उनको कैसे संरक्षित किया जाए इस गंभीर विषय पर बच्चों को विशेष तौर पर वन्य जीव को पर्यावरण के प्रति बचाव करने का जानकारी दिया गया । वन्य जीव पर्यावरण के आधार हैं, पर्यावरण संतुलन में उनका विशेष योगदान हैं । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के बच्चों ने जाना विश्व वन्य जीव सुरक्षा दिवस के बारे में यह कब व क्यों मनाया जाता है । विश्व वन्य जीव सुरक्षा दिवस 3 मार्च को मनाया जाता है । बच्चों द्वारा इस दिवस पर वन्य जीवों को संरक्षित करने हेतु अपर प्रायमरी बच्चों के द्वारा नाटकीय अभिनय द्वारा प्रस्तुति दी गई, बच्चों ने अपने चेहरों पर विभिन्न रंगों से वन्य जीव का रूप धारण कर वन्य जीव के बचाव, सुरक्षा ।
जंगलों की तरह वन्यजीव भी एक राष्ट्रीय संसाधन है जो न केवल पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है बल्कि आर्थिक मनोरंजन और सौंदर्य के दृष्टिकोण से भी फायदेमंद है। एक समय था जब मानव हस्तक्षेप न्यूनतम था जंगली जानवरों की संख्या काफी अधिक थी और उनके संरक्षण या संरक्षण की कोई समस्या नहीं थी। लेकिन कृषि निपटान औद्योगिक और अन्य विकासात्मक गतिविधियों के विस्तार और मुख्य रूप से मनुष्य के लालच के कारण जंगली जानवरों की संख्या धीरे-धीरे कम और कम होती गई। इस परिणाम के साथ कि जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं और कई अन्य ऐसा होने के कगार पर हैं।
विद्यालय प्रमुख प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता जी अपने उद्बोधन में कहा कि सही और गलत में पहचान करने की क्षमता यही एक बात हैं जो हमें जानवरो से अलग करती है और ये बात हर मनुष्य के अंदर होती है। पक्षी जगत पर्यावरण का सूचक होता है अगर वे मुसीबत में हैं तो हमें समझ लेना चाहिए कि हमारे भी वो बुरे दिन दूर नहीं। मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं। एक राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिक प्रगति को उसके जानवरों के साथ व्यवहार से ठीक किया जा सकता है।

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