ज्वाइंट पेन और शरीर में दर्द के लिए फिजियोथेरेपी सबसे कारगर तरीका माना जाता है. लेकिन क्या फिजियोथेरेपी कराने से गठिया के रोगियों को भी राहत मिलती है? क्या फिजियोथेरेपी कराने से दवाओं से राहत मिल सकती है? इस बारे में जानते हैं.
आर्थराइटिस यानी गठिया बुजुर्गों में होने वाली आम बीमारी है. लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं. इस बीमारी की वजह से लोगों को चलने फिरने और उठने बैठने में तकलीफ होती है. आर्थराइटिस के लिए मार्केट में बहुत सी दवाएं और ऑयल भी मौजूद हैं. जिसका लोग इस्तेमाल भी करते हैं, लेकिन क्या फिजियोथेरेपी कराना भी कारगर है? क्या फिजियोथेरेपी की मदद से आर्थराइटिस की बीमारी को काबू में किया जा सकता है? इस बारे में जानते हैं,
दर्द कम करने, जोड़ों की जकड़न को दूर करने और मूवमेंट को बेहतर बनाने के लिए फिजियोथेरेपी कराना चाहिए. हल्के से मध्यम मामलों में, सही फिजियोथेरेपी अपनाने से बिना दवा के भी राहत पाई जा सकती है, लेकिन गंभीर मामलों में डॉक्टर से मिलकर दवाएं लेना सही रहेगा. ऐसे में अगर जोड़ों में हल्का और कम दर्द है तो आप फिजियोथेरेपी तरीका अपना सकते हैं. फिजियोथेरेपी के कई फायदे हैं.
फिजियोथेरेपी के क्या फायदे होते हैं
हल्के एक्सरसाइज और थेरेपी से मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है, जिससे जोड़ों पर दबाव कम होता है.स्ट्रेचिंग और मूवमेंट एक्सरसाइज से जोड़ों की जकड़न कम होती है. इससे मरीज को चलने में आसानी होती है. मरीज के जोड़ों में जकड़न की समस्या कम हो जाती है.
मांसपेशियों को मजबूत करना
फिजियोथेरेपी मांसपेशियां को मजबूती प्रदान करती है. जोड़ को अधिक सपोर्ट देती हैं, जिससे दर्द कम होता है.
संतुलन और लचीलापन बढ़ाना
फिजियोथेरेपी से जोड़ों के दर्द को आराम तो मिलता ही है. साथ ही साथ संतुलन और लचीलापन भी बढ़ता है. चलना, उठना-बैठना और सीढ़ियां चढ़ना सुगम हो जाता है.
बिना दवा के आर्थराइटिस को करें कम
अगर आर्थराइटिस हल्का है तो नियमित फिजियोथेरेपी और व्यायाम करके आप इसे सही करवा सकते हैं. जैसे स्ट्रेचिंग, योग, वॉटर थेरेपी के जरिए गठिया को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसके अलावा संतुलित आहार जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड जैसे हल्दी, अदरक, ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों को खाकर भी आप आर्थराइटिस को कम कर सकते हैं. गर्म और ठंडी सिकाई से भी गठिया के मरीज को राहत मिलती है. लेकिन इस मामले में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. बिना डॉक्टर की सलाह के फिजियोथेरेपी नहीं करानी चाहिए.