दुर्ग, 28 सितम्बर I आज के युग में बच्चे क्रिकेट, हॉकी, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन और टेनिस जैसे खेल खेलते हैं। दुर्ग निवासी 10 वर्षीय पलाश विलुप्त हो रही लाठी शैली सीख रहा है। इन नन्हें हाथों ने एशियन लाठी स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर जिले समेत छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है।
लाठी चलाते समय कलाइयों का बेहतरीन इस्तेमाल करता पलाश।
एशियन लाठी स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में गोल्ड लाने वाले पलाश अग्रवाल दुर्ग जिले के पहले बच्चे हैं। पलाश की इस उपलब्धि से उनके परिवार और माता पिता सभी बहुत खुश हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में पलाश ने बताया कि उनकी बड़ी बहन कराते के साथ लाठी चलाना सीखती है। उसको लाठी चलाते हुए देखकर काफी अच्छा लगा।
पलाश के साथ उसका अपना परिवार।
दादा राधेश्याम कीर्तुका ने भी उसे यह गेम सीखने की सलाह दी। इससे आत्मरक्षा के साथ शारीरिक विकास भी अच्छा होता है। वो इसी गेम्स को और आगे तक ले जाएंगे और इंटरनेशनल लेवल में इंडिया के लिए गोल्ड लेकर आएंगे।
घर के गार्डन में अपने भाई के साथ प्रैक्टिस करता पलाश
पलाश में है गेम को आगे तक ले जाने का हुनर- कोच
कोच संदीप ताम्रकार का कहना है कि पलाश के अंदर लाठी चलाने की टेक्निक और हैंड्स मूवमेंट काफी अच्छे हैं। वो चीजों को जल्द सीखता है। महज 5-6 महीने की प्रैक्टिस में ही उसने एशिया में गोल्ड जीता है। लाठी गेम विलुप्त होता जा रहा है, लेकिन वो पलाश के जरिए इसे न सिर्फ जिंदा रखेंगे, बल्कि उसे आगे तक भी ले जाएंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी बात की है कि वो इस गेम को आगे बढ़ाने के लिए कुछ करें।
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