ISRO Venus Mission : चंद्रमा और सूरज के बाद अब शुक्र पर मिशन भेजेगा इसरो, जानें कब होगी लॉन्चिंग…

ISRO Venus Mission: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो एक के बाद एक मिशन भेजने पर काम कर रहा है. चंद्रमा और सूरज के बाद अब इसरो दूसरे ग्रहों पर भी अपने मिशन भेजने वाला है. इस बार भारती अंतरिक्ष एजेंसी इसरो सौरमंडल के बाहर के ग्रहों के रहस्यों का पता लगाने के लिए अपने मिशन को भेजेगा. इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इसरो अब बाहरी ग्रहों के रहस्यों को उजागर करने पर ध्यान दे रहा है. इन ग्रहों में वे ग्रह शामिल हैं जिनमें वायुमंडल स्थित है और उन्हें रहने योग्य माना जाता है.

दिसंबर में हो सकती है लॉन्चिंग

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) के एक कार्यक्रम के दौरान इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए मिशन भेजने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष की जलवायु तथा पृथ्वी पर उसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एजेंसी दो उपग्रह भेजने की योजना भी बना रही है. एस सोमनाथ ने कहा कि एक्सपोसेट या एक्स-रे पोलरीमीटर सेटेलाइट को इस साल दिसंबर में लांच करने की तैयारी है. इन उपग्रहों को उन तारों के अध्ययन के लिए भेजा जाएगा, जो समाप्त होने की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं.

मंगल पर भी भेजा जाएगा मिशन

उन्होंने कहा कि एजेंसी एक्सोव‌र्ल्ड्स नामक सेटेलाइट के बारे में भी विचार कर रही है. ये सेटेलाइट सौरमंडल से बाहर के ग्रहों और अन्य तारों का चक्कर लगा रहे ग्रहों के बारे में जानकारी इकट्ठी करेगा. एस. सोमनाथ ने कहा कि सौरमंडल के बाहर 5,000 से ज्यादा ज्ञात ग्रह हैं जिनमें से कम से कम 100 पर पर्यावरण होने की बात मानी जाती है. उन्होंने बताया कि एक्सोव‌र्ल्ड्स मिशन के तहत बाहरी ग्रहों के वातावरण का अध्ययन किया जाएगा. इसके साथ ही मंगल पर एक अंतरिक्षयान उतारने की भी योजना है.

95 फीसदी कलपुर्जे स्वदेशी

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के 82वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने पहुंचे इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि भारत में राकेट के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले लगभग 95 प्रतिशत कलपुर्जे घरेलू स्त्रोत से प्राप्त किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि रॉकेट और सेटेलाइट के विकास समेत सभी तकनीकी कार्य अपने देश में ही किए जाते हैं. सोमनाथ ने कहा कि यह उपलब्धि राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, रक्षा प्रयोगशालाओं और सीएसआइआर प्रयोगशालाओं समेत विभिन्न भारतीय प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग का परिणाम है.

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