Hartalika teej 2023 । हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर माता पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी से बनी अस्थाई मूर्तियों की पूजा करती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं.
हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर दिन सोमवार को है. इस व्रत को बहुत कठिन माना गया है, क्योंकि इस दिन व्रत के दौरान अन्न जल का सेवन नहीं किया जाता है.
जानें ज्योतिषाचार्य से जरूरी बातें
धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है. वहीं इस दिन कुंआरी कन्याएं भी व्रत रखकर सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त करती हैं. यदि आप भी हरतालिका तीज का व्रत पहली बार रख रही हैं, तो इस व्रत से जुड़ी कुछ खास बातों को भी जान लें ताकि इस व्रत में कोई गलती न हो.
व्रत को रखने के नियम काफी कठोर
हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है. महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत को रखने के नियम काफी कठोर होते हैं. जरा सी भूल या असावधानी से व्रत खंडित होने का खतरा बना रहता है. आइए जानते है ज्योतिषाचार्य महात्मा प्रसाद तिवारी से कि ऐसी कौन सी चीजें हैं, जिनको व्रत के दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
भूल से भी पानी नहीं पीना चाहिए
हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है. इस व्रत का नाम है निर्जला व्रत. इस व्रत में महिलाएं फलाहार भी नहीं कर सकती है. भूलवश अगर किसी महिला ने पानी पी लिया तो व्रत खंडित माना जाता है.
रात में सोना नहीं चाहिए
हरतालिका तीज का व्रत दिन और रात दोनों समय लगातार रखा जाता है. महिलाएं दिन के साथ रात को भी जागरण करती हैं. महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करती हैं. इस व्रत में सोना नहीं चाहिए. अगर आप सो गए तो आपका व्रत खंडित माना जाता है.
क्लेश करने से बचें
हरतालिका तीज व्रत के दिन महिलाओं को कलह-क्लेश नहीं करना चाहिए. इस दिन बड़े बुजुर्गों का भी अपमान नहीं करें. ऐसा करने से व्रत का लाभ नहीं मिलता है.
गुस्से पर काबू रखें
हरतालिका व्रत रखने के दौरान महिलाओं को अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए. किसी से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो तीज के व्रत से एक दिन हाथों में मेंहदी इसलिए लगाई जाती है ताकि मन शांत और ठंडा रह सके.
व्रत तोड़ा नहीं जाता
हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने के बाद इसे हर साल करना होता है, इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता. अगर किसी वजह से ये व्रत न कर पाएं तो इसका उदयापन कर दें या फिर अपने परिवार में किसी दूसरी महिला को ये व्रत देना होता है.
[metaslider id="347522"]