Jivet Sharada Shatam: भारतीय संस्कृति में अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं हैं। यहां हर एक चीज का अपना एक अलग महत्व होता है। इसी विविधता के चलते भारत दुनियाभर में ‘विश्व गुरु’ के रूप में जाना जाता है। हमारी संस्कृति हमेशा बड़ों की सेवा और सत्कार करना सिखाती है। ऐसा करने से हमें बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति न केवल दीर्घायु होता है, बल्कि अपने जीवन में सदैव प्रसन्न रहता है।
आपने अक्सर सुना होगा कि आशीर्वाद देते समय बड़े-बुजुर्ग ‘जीवेम शरदः शतम्’ बोलते हैं। इस संस्कृत वाक्यांश का मतलब “आप 100 शरद ऋतुओं तक जीवित रहें” है। अधिकतर बड़े-वृद्ध अपने छोटों को उनके जन्मदिन पर इसी वाक्य के जरिए आशीर्वाद देते हैं। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से वाक्य के महत्व को विस्तार से जानते हैं-
अथर्ववेद में मिलता है जिक्र
इस वाक्य का जिक्र अथर्ववेद में मिलता है। यह इस पाठ से लिया गया है-
पश्येम् शरदः शतम् ।। जीवेत शरदः शतम् ।।2।। बुध्येम शरदः शतम् ।।3।। रोहेम शरदः शतम् ।।4।। पूषेम शरदः शतम् ।।5।। भवेम् शरदः शतम् ।।6।। भूयेम शरदः शतम् ।। भूयसिः शरदः शतात्
शरद या पतझड़
यह वाक्य शरद ऋतु यानी पतझड़ के मौसम के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है, जिस दौरान मौसम में अत्यधिक नमी होती है।
बीमारी
शरद ऋतु के दौरान, मौसम में काफी नमी होने के कारण वायरस और बैक्टीरिया की संख्या में वृध्दि देखने को मिलती है, जिसकी वजह से मानव शरीर कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है।
बीमारियों के प्रकार
इस मौसम में बुखार, पाचन समस्या, डेंगू, मलेरिया आदि कई बीमारियां तेजी से फैलती हैं।
बीमारियों का मौसम
शरद ऋतु को सभी बीमारियों का मौसम भी कहा जाता है और यही कारण है कि इस मौसम में लोगों को लंबे समय तक जीवित रहने का आशीर्वाद मिलता है।
अनेक त्योहार
हालांकि, बीमारियों के अलावा इस मौसम में कई सारी अच्छी चीजें भी होते हैं। दरअसल, इस सीजन में सकारात्मकता पैदा करने के लिए, शरद ऋतु के दौरान दुर्गा पूजा और दिवाली जैसे कई त्योहार मनाए जाते हैं।
कैसे सुरक्षित रहें?
इस मौसम में सुरक्षित रहने के लिए बचाव के उपाय अपनाएं। स्वच्छ रहें और स्वच्छ दिनचर्या का पालन करें। मौसमी खाना खाएं और पानी साफ पिएं।
[metaslider id="347522"]