दिल्ली में 2018 में हुए बुराड़ी केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, जब एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 10 सदस्यों के मृत शरीर घर के आंगन की ग्रिल से लटके मिले थे, जबकि दादी एक कमरे में मृत पायी गयीं। फंदे से लटके शवों के मुंह पर कपड़ा और हाथ पीछे बंधे हुए थे।
इस केस पर नेटफ्लिक्स ने हाउस ऑफ सीक्रेट्स- द बुराड़ी डेथ्स डॉक्युसीरीज 2021 में जारी की थी, जिसमें पड़ोसियों, रिश्तेदारों, जांच अधिकारियों और मनोवैज्ञानिक के जरिए इस रहस्मयी घटना के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हुए इसके पीछे की सच्चाई को समझने की कोशिश की गयी थी।
अब डिज्नी प्लस हॉटस्टार ने इस घटना से प्रेरित होकर काल्पनिक इनवेस्टिगेटिव वेब सीरीज आखिरी सच के दो एपिसोड्स शुक्रवार को रिलीज किये हैं, जिसमें बुराड़ी जैसी दिखने वाली एक घटना की जांच को कहानी का आधार बनाया गया है। जांच अधिकारी के किरदार में तमन्ना भाटिया हैं। इस सीरीज का निर्देशन रॉबी ग्रेवाल ने किया है।
क्या है आखिरी सच की कहानी?
पहले एपिसोड की शुरुआत दिल्ली के किशन नगर में रहने वाली राजावत फैमिली के 11 सदस्यों की मौत की खबर से होती है। 10 सदस्य आंगन में फंदे से लटके होते हैं और दादी कमरे में मृत पड़ी होती हैं। सनसीखेज को सॉल्व करने की जिम्मेदारी अन्या (तमन्ना भाटिया) को दी जाती है।
घटनास्थल पर हालात देख अन्या हिल जाती है। अन्या अपनी टीम के साथ पड़ोसियों और जानने वालों से पूछताछ करके इस घटना के सिरे पकड़ने की कोशिश करती है। पूछताछ के क्रम में पता चलता है कि कुछ दिन पहले राजावत परिवार की लड़की अंशिका की अमन (शिविन नारंग) से इंगेजमेंट हुई थी, लेकिन कार्यक्रम में किसी पड़ोसी या रिश्तेदारों को नहीं बुलाया गया था। अमन भी संदेह के घेरे में आ जाता है।
दूसरे एपिसोड में राजावत परिवार पर फोकस रखा गया है। बड़ा बेटा आदेश (दानिश इकबाल) और छोटे बेटे भुवन (अभिषेक बनर्जी) के अतीत से जुड़ी घटनाएं सामने आती हैं। आदेश का किसी स्थानीय माफिया महिपाल से झगड़ा चल रहा था। वहीं, भुवन अपने पिता जवाहर (संजीव चोपड़ा) की यादों में खोया रहता है, जिनका एक हादसे में कुछ साल पहले निधन हो गया था।
हादसे के समय भुवन पिता के साथ था, इसलिए वो खुद को जिम्मेदार मानता है और उसे लगता है कि पिता घर में ही हैं। अन्या आदेश और गुंडों के एंगल पर जांच करती है, जबकि अंशिका का मंगेतर अमन अपने स्तर से जांच करता है। आदर्श की एक बहन बबीता उनके साथ नहीं रहती थी, इसलिए बच गयी। अमन को बबीता से पता चलता है कि जवाहर का दोस्त दौलत कुछ समय पहले परिवार को परेशान कर रहा था।
कैसा है शो का स्क्रीनप्ले और अभिनय?
सच्ची घटना से प्रेरित इस सीरीज का लेखन सौरव डे ने किया है। एक थ्रिलर के तौर पर सीरीज ठीकठाक गति से आगे बढ़ती है। फिलहाल, दो ट्रैक बन गये हैं- एक अन्या की जांच का और दूसरा अमन का। इस बेहद संजीदा घटना की जांच की कहानी में कुछ चीजें खटकती भी हैं। खासकर, अन्या यानी तमन्ना भाटिया का इंट्रोडक्शन सीक्वेंस गैरजरूरी लगता है। ओपनिंग दृश्यों में घटना की जो भावनात्मक गहराई बनती है, वो अचानक टूट जाती है। अन्या के इंट्रोडक्शन के दूसरे तरीके हो सकते थे।
पुलिस की जांच के समानांतर अमन की जांच का एंगल थोड़ा अजीब लगता है। पुलिस ने भी परिवार से जुड़े लोगों से बातचीत की, मगर दौलत वाला एंगल उन्हें नहीं मिलता। हालांकि, इसका सही-सही कारण आने वाले एपिसोड्स में ही पता चलेगा। एक पड़ोसी बच्चे किशोर के किरदार अभी खुलना बाकी है, जो इस घटना के बाद से परेशान है। उसने भुवन को कुछ ऐसा करते देखा, जो इस घटना की अहम परत खोल सकता है।
वो पुलिस को बताने की कोशिश भी करता है, मगर उस पर पुलिसकर्मी मजाक बनाने लगते हैं। इतने गंभीर हादसे में, जहां-जहां एक गवाही और तथ्य मायने रखता है, वहां पुलिकर्मियों का ऐसा बर्ताव दिखाना अखरता है। भुवन का किरदार मनोवैज्ञानिक समस्या से ग्रसित दिखाया गया है। पुलिस ने अभी इस एंगल पर जांच शुरू नहीं की है। अमन के ट्रैक के जरिए इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
अभिनय की बात करें तो जांच अधिकारी के किरदार में तमन्ना की परफॉर्मेंस औसत है। जब अन्या पहली बार घटनास्थल पर पहुंचती है और इतनी सारे शवों को लटकते हुए देखती है तो शॉक में आ जाती है। इन दृश्यों को और इंटेंस बनाया जा सकता था। अगर किरदार की शारीरिक भाषा की बात करें तो बबली बाउंसर में तमन्ना ने अन्या के मुकाबले बेहतर काम किया था। क्राइम ब्रांच की अधिकारी के रोल के लिए जो ठसक चाहिए, वो मिसिंग लगती है।
भुवन के किरदार में अभिषेक बनर्जी ने अच्छा काम किया है। इस किरदार को देखकर एक अवसाद का भाव आता है, जिसे निभाने में अभिषेक कामयाब रहे हैं। अमन के किरदार में शिविन नारंग ठीक लगे हैं। पुलिस की सस्पेक्ट लिस्ट में शामिल इस किरदार से आने वाले एपिसोड्स में ट्विस्ट्स की सम्भावना है। आखिरी सच सीरीज की शुरुआत साधारण है, जो एक बेहद चर्चित आपराधिक घटना पर बनायी गयी है। दो एपिसोड्स में कुछ ऐसा नहीं मिलता, जो असाधारण लगे। अब सारा दारोमदार आगे आने वाले एपिसोड्स पर निर्भर करता है।
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