नई दिल्ली,21 मई 2025। दुनियाभर में लाखों लोगों की जाने लेने वाला कोराना वायरस फिर लौट रहा है। दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में कोरोना महामारी के कुछ मामले सामने आए हैं। भारत में भी कोरोना के नए मामले देखने को मिल रहे हैं। मुंबई में कोरोना से संक्रमित दो लोगों की मौत हो गई है, हालांकि उन्हें कुछ अन्य बीमारियां भी थीं।
अभी तक केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु से कोरोना के कुछ मामले सामने आए हैं, हालांकि इन सभी मामलों में कोरोना के लक्षण काफी हल्के हैं, लेकिन पिछली बार कहर बरपाने वाले इस वायरस को लेकर सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है।
क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट
विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि अब तक सामने आए मामले हल्के हैं। इस वायरस का सब-वेरिएंट JN.1 पहले से ही भारत में है और दक्षिण-पूर्व एशिया में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए इसी वेरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि JN.1 वेरिएंट BA.2.86 का ही एक हिस्सा है। BA.2.86 को ‘पिरोला’ स्ट्रेन के नाम से जाना जाता है। ‘पिरोला’ स्ट्रेन इंसान के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है और ज्यादा संक्रामक है।
वायरस खोज रहा बचने के तरीके
JN.1 का संबंध ओमिक्रॉन वेरिएंट से है। इस वायरस में करीब 30 म्यूटेशन हो चुके हैं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि यह बहुत खतरनाक है बल्कि यह हमारे इम्यून सिस्टम से बचने के तरीके खोज रहा है। JN.1 वायरस में जो बदलाव हो रहे हैं, वे वायरस की सतह पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन में हो रहे हैं और यह हमारे शरीर की कोशिकाओं में चला जाता है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को दिक्कत होती है और वायरस को आसानी से फैलने में मदद मिलती है।
एक सवाल यह भी उठता है कि क्या वैक्सीनेशन से मिली इम्यूनिटी अब कम हो रही है और क्या इसे रोकने के लिए हमारे पास कोई वैक्सीन नहीं है। इसका जवाब यह है कि हमने ओमिक्रॉन की लहर देखी है। यह अभी भी हमारे शरीर में मेमोरी टी सेल्स और मेमोरी बी सेल्स को सक्रिय कर सकता है और ये सेल्स वायरस और इसके जैसे किसी भी वेरिएंट से लड़ सकते हैं।
पीएलओएस पैथोजेन्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मेमोरी टी सेल्स वायरस के कई हिस्सों को पहचान सकते हैं और इनमें ओमिक्रॉन वेरिएंट भी शामिल है। मेमोरी बी सेल्स एंटीबॉडीज बनाते हैं जो ओमिक्रॉन वेरिएंट को खत्म कर सकते हैं।
लोगों में अभी जो लक्षण दिख रहे हैं, वे आम फ्लू जैसे ही हैं- गले में खराश, खांसी और बुखार। कुछ लोगों को उल्टी हो सकती है, कुछ लोगों को कोरोना की पहली लहर की तरह आंखों में जलन (कंजक्टिवाइटिस) भी हो सकती है। ऐसे समय में लोगों को आराम करना चाहिए, पानी पीना चाहिए, सेल्फ आइसोलेशन में रहना चाहिए और एंटीवायरल दवाइयां लेनी चाहिए।
किन लोगों को ज़्यादा ख़तरा
दूसरा सवाल यह है कि इस वैरिएंट से किसे ज़्यादा ख़तरा है? जो लोग पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है, उन्हें निश्चित रूप से ज़्यादा ख़तरा है। जिन लोगों को हाई डायबिटीज़, क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़, एचआईवी है या जिन्होंने ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाया है, उन्हें भी सावधान रहने की ज़रूरत है। बुज़ुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भी संक्रमण का ख़तरा हो सकता है।
mRNA वैक्सीन की ज़रूरत
अगला सवाल यह है कि क्या हमें ज़्यादा वैक्सीनेशन की ज़रूरत है? जो पुरानी वैक्सीन हमें मिलती थीं, वे कमज़ोर या मृत वायरस से बनी थीं। अब हमें mRNA वैक्सीन की ज़रूरत है, जैसे जेमकोवैक-19। लेकिन यह वैक्सीन अभी आसानी से उपलब्ध नहीं है। नए वैरिएंट के हिसाब से वैक्सीन को जल्दी अपडेट करने के लिए mRNA तकनीक अच्छी मानी जाती है।
फिर से लगेगा लॉकडाउन?
लॉकडाउन की बात करें तो हमने ओमीक्रॉन जैसी लहर देखी है। यह वेरिएंट भी वैसा ही है। भारत में लगभग हर व्यक्ति को वैक्सीन लग चुकी है। ऐसे में लॉकडाउन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आखिर में सबसे ज़रूरी बात यह है कि हमें कोरोना संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए। इसके लिए- भीड़भाड़ वाली और प्रदूषित जगहों पर मास्क पहनें, हाथ साफ रखें और संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखें।