रायपुर,19 अगस्त । छत्तीसगढ़ पीएमटी-2008 में टॉप करने वाला मुन्ना भाई आखिरकार 15 साल बाद अब डॉक्टर बन गया है। इस छात्र के नाम पर किसी और ने छत्तीसगढ़ का प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) दिया था। छात्र ने मेरिट लिस्ट में टाॅप किया था। उसका एडमिशन राजधानी के पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में हुआ और पढ़ाई शुरू कर दी।
इससे पहले ही मामला फूट चुका था और इसकी जांच में लगाई गई सीआईडी ने असलियत उजागर करते हुए इस छात्र के खिलाफ एफआईआर करवा दी थी। तब उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी और कोर्ट ने उसकी पढ़ाई जारी रखने के आदेश दिए थे। वह तब से अब तक कई बार फेल होने के बाद अब जाकर एमबीबीएस हुआ है। हाईकोर्ट से राहत के बाद उसने रिफर्ड बैच में एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। वह इस साल फरवरी में हुई मुख्य परीक्षा में भी फेल हो गया था।
पूरक परीक्षा जुलाई में हुई, जिसका नतीजा अभी आया है और वह पास हो गया है। 14 साल में वह फाइनल इयर भाग-1 की परीक्षा पास कर पाया और पिछले साल ही फाइनल इयर भाग-2 में पहुंचा था। फरवरी में हुई परीक्षा में वह केवल पीडियाट्रिक में पास हो पाया था। जनरल सर्जरी, ऑब्स एंड गायनी तथा जनरल मेडिसिन में फेल रहा। फर्स्ट, सेकंड ईयर व फाइनल भाग-1 को पास करने में उसने तीन-तीन साल लिए थे। हेल्थ साइंस विवि की ओर से शुक्रवार को जारी रिजल्ट में वह फाइनल इयर भाग-2 में पास हो गया। मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर का कहना है कि पीएमटी में अपने स्थान पर दूसरे को बिठाकर टॉपर तो बन गया, लेकिन पढ़ाई में शुरू से कमजोर था।
41 पर केस, ज्यादातर पास
प्रदेश के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 2007, 2008, 2009, 2010 तथा 2011 बैच में 41 मुन्नाभाइयों के खिलाफ सीआईडी ने केस दर्ज किया था। इसके बाद डीएमई कार्यालय को इसकी रिपोर्ट दी गई थी। इनमें से कुछ जेल गए, कुछ फरार हो गए। हाईकोर्ट ने सभी को अग्रिम जमानत और एमबीबीएस की पढ़ाई की अनुमति दी। इनमें ज्यादातर पास हो चुके हैं और प्रैक्टिस भी करने लगे हैं। कुछ ने पीजी भी किया है।
25 से ज्यादा छात्र 10 साल से फर्स्ट इयर में ही फेल
इस परीक्षा में 126 छात्र बैठे थे, जिसमें 108 पास हुए। रिजल्ट 86 फीसदी रहा। खास बात ये है कि प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में 25 से ज्यादा ऐसे छात्र हैं, जो 10 साल से फर्स्ट ईयर में फेल हो रहे हैं। रायपुर में ऐसे छात्रों की संख्या 5 से ज्यादा है।
4 अटेंप्ट में फेल होकर बाहर
एनएमसी ने 2019 से नया नियम लागू किया है। इसमें 4 अटेंप्ट या 4 साल में पास नहीं होने वाले छात्रों को कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखाने का नियम है। इसी नियम के तहत पहली बार प्रदेश के 3 छात्राें पर गाज गिरी है। एक छात्र निजी कॉलेज में पढ़ रहा था। ये छात्र अब एमबीबीएस की पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। एनएमसी ने उन्हें पांचवें अटेंप्ट का मौका दिया था।
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