- फर्जी बीएड,बीए की अंकसूची के सहारे डेढ़ दशक तक की नौकरी ,जांच में खुली पोल,एफआईआर की लटकी तलवार
कोरबा, 21 मई (वेदांत समाचार)। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर (कोनी ) का बीएड एवं बीए का फर्जी अंकसूची प्रस्तुत कर शासन की आंखों में धूल झोंककर व्याख्याता (एल बी )के पद पर सेवाएं दे रहे करतला विकासखण्ड के हाईस्कूल लबेद में पदस्थ व्याख्याता एल.बी.लक्ष्मीनारायण राजवाड़े को आखिरकार 3 साल की लंबी जांच एवं आरोप सिद्ध पाए जाने के बाद संचालक लोक शिक्षण संस्थान (डीपीआई)ने शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया है। डीपीआई की इस कार्रवाई के बाद संबंधितों में हड़कम्प मचा है।
यहां बताना होगा कि विकासखंड करतला के शासकीय हाई स्कूल लबेद में पदस्थ व्याख्याता (एल.बी.) लक्ष्मी नारायण राजवाड़े के विरुद्ध फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने की शिकायत प्राप्त हुई थी । गुरु घासीदास विश्वविद्यालय कोनी बिलासपुर (छग)द्वारा वर्ष 2008 में लक्ष्मी नारायण राजवाड़े पिता घासीराम राजवाड़े को प्रदाय किए गए बी एड की अंक सूची का सत्यापन कराने हेतु कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कुल सचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय कोनी बिलासपुर को 16 मार्च 2020 को पत्राचार किया गया था,कार्रवाई नहीं होने पर 9 मई 2023 स्मरण पत्र प्रेषित किया गया था।
बीएड की अंकसूची निकली जाली, विश्वविद्यालय ने की पुष्टि
उक्त पत्र के परिप्रेक्ष्य में कुल सचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय कोनी बिलासपुर का 17 मई 2023 को पत्र प्राप्त हुआ। जिसके अनुसार व्याख्याता (एल.बी.) लक्ष्मी नारायण राजवाड़े को वर्ष 2008 में प्रदाय किए गए बीएड की अंकसूची उक्त विश्वविद्यालय से जारी होना नहीं पाया गया।
एमए (संस्कृत )की अंकसूची भी निकली फर्जी
इसी तरह गुरु घासीदास विश्वविद्यालय कोनी बिलासपुर द्वारा लक्ष्मी नारायण राजवाड़े पिता घासीराम राजवाड़े को प्रदाय किए वर्ष 2003 में प्रदाय किए गए बीए की अंकसूची तथा वर्ष 2005 में प्रदाय किए गए एम.ए.(संस्कृत)की अंकसूची का सत्यापन कराने कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा द्वारा 19 फरवरी 2024 को कुल सचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय कोनी बिलासपुर को पत्र प्रेषित किया गया था।
उक्त पत्र के परिप्रेक्ष्य में कुल सचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय कोनी बिलासपुर का 19 अप्रैल 2024 को पत्र प्राप्त हुआ। जिसके अनुसार व्याख्याता (एल.बी.) लक्ष्मी नारायण राजवाड़े को वर्ष 2003 में प्रदाय किए गए बीए की अंकसूची उक्त विश्वविद्यालय से जारी होना पाया गया,लेकिन 2005 में व्याख्याता (एल.बी.) लक्ष्मी नारायण राजवाड़े को प्रदाय किए गए एम.ए.(संस्कृत)की अंकसूची उक्त विश्वविद्यालय से जारी होना नहीं पाया गया।
पक्ष रखने दिया अवसर
जिसके संदर्भ में श्री राजवाड़े को अभिलेख सहित अपना पक्ष रखने के लिए 5 जून ,15 जुलाई ,1अगस्त एवं 13 सितंबर को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए सुनवाई तिथि 4 अक्टूबर 2024 में निर्धारित की गई थी।
उक्त तिथि में श्री राजवाड़े उपस्थित हुए और लिखित प्रतिवाद प्रस्तुत कर अन्य तिथियों में उपस्थित नहीं हो पाने के लिए क्षमा मांगा गया एवं उनके विरुद्ध की गई शिकायत को असत्य एवं निराधार होना बताया गया।
इन नियमों के तहत किया बर्खास्त
सामान्य प्रशासन विभाग /वित्त विभाग के निर्देश हैं कि यदि यह पाया जाए कि कोई शासकीय सेवक भर्ती नियमों आदि की शर्तों के अनुसार प्रारंभिक नियुक्ति के लिए पात्र नहीं था या उसने नियुक्ति प्राप्त करने झूठी जानकारी दी थी अथवा झूठा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था तो आरोप सिद्ध पाए जाने पर सेवा से हटाने या बर्खास्त करने का ही दण्ड दिया जाए।
इस तरह संचालक लोक शिक्षण संस्थान ने उपरोक्त नियमों का पालन सुनिश्चित करते हुए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए लक्ष्मी नारायण राजवाड़े के विरुद्ध दीर्घ शास्ति अधिरोपित करने के पूर्व उन्हें समुचित सुनवाई का अवसर प्रदान किया। अपने बचाव में बीएड एवं स्नातकोत्तर (संस्कृत )की डिग्री प्रस्तुत किया गया, जिसे संबंधित विश्विद्यालय द्वारा जारी होना नहीं पाया गया।फर्जी दस्तावेज की पुष्टि हो जाने के कारण कोरबा जिला के करतला विकासखण्ड के शासकीय हाई स्कूल लबेद में पदस्थ व्याख्याता (एल.बी.) लक्ष्मी नारायण राजवाड़े को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है।


गिरफ्तारी की लटकी तलवार, क्या विभाग दर्ज कराएगा एफआईआर ?
कूटरचित फर्जी दस्तावेजों के सहारे शिक्षक जैसे सम्मानित पद की नौकरी हासिल शासन से धोखाधड़ी करने वाले बर्खास्त व्याख्याता (एल.बी.)लक्ष्मी नारायण राजवाड़े के खिलाफ अब एफआईआर की तलवार लटक सकती है। अब देखना यह लाजिमी होगा कि इसकी पहल शिक्षा विभाग स्वयं करता है या फिर उसे इस कार्य के लिए भी शिकायत का इंतजार करना पड़ेगा।
कोरबा में 2010 से पूर्व नियुक्त समस्त शिक्षकों के दस्तावेजों के सत्यापन की दरकार ,क्या सुध लेगी सरकार
फर्जी अंकसूची /दस्तावेजों के जरिए शासकीय नौकरी हासिल करने का आकांक्षी जिला कोरबा का यह पहला मामला नहीं है ,दर्जनों मामले इस तरह के सामने आ चुके हैं जिनमें कुछ प्रकरणों में जांच उपरांत कार्रवाई हुई है तो कुछ में संबंधित शिक्षक विभागीय चूक की वजह से कोर्ट आदि का सहारा लेकर अभी तक सेवाएं दे रहे हैं। इसमें न केवल फर्जी अंकसूची ,वरन फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के जरिए शिक्षक के महत्वपूर्ण पद पर सेवाएं देने वाले शामिल हैं। विश्वत सूत्रों की मानें तो सन 2010 से पूर्व नियुक्त कई शिक्षकों द्वारा कूटरचित दस्तावेजों के जरिए नियुक्ति प्राप्त की गई है। जिसके दस्तावेजों की पुनः सत्यापन की दरकार है। ताकि शिक्षक जैसे समाज के सबसे प्रतिष्ठित पद बेदाग रहे। हालांकि इसके पूर्व करीब 6 साल पूर्व कुछ ब्लाक के माध्यमिक शाला स्तर के शिक्षकों का दस्तावेज सत्यापन का कार्य जिला प्रशासन द्वारा प्राप्त शिकायतों के आधार पर जरूर कराया गया था। पर इसमें भी ऐसे शिक्षक विभागीय संरक्षण की वजह से बच निकले। लिहाजा अब शासन ,जिला प्रशासन को चाहिए कि 2010 से पूर्व नियुक्त सभी वर्गों के शिक्षकों के दस्तावेजों का चरणबद्ध रूप से सत्यापन सुनिश्चित कराकर उसकी सत्यता की पुष्टि कर ले।