Vedant Samachar

अत्यधिक गर्मी का सामना कर रही भारत की तीन-चौथाई आबादी : CEEW रिपोर्ट

Vedant samachar
4 Min Read

रातों की गर्मी और बढ़ती आर्द्रता से बिगड़ रहा हाल, दिल्ली, महाराष्ट्र, यूपी समेत 10 राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित

नई दिल्ली ,20 मई 2025। भारत के 57% जिले—जहां देश की 76% आबादी रहती है—अब ‘अधिक’ से ‘बहुत अधिक’ गर्मी के जोखिम का सामना कर रहे हैं। यह खुलासा हुआ है काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) की नई रिपोर्ट “हाउ एक्सट्रीम हीट इज इंपैक्टिंग इंडिया” में।

रिपोर्ट में चेताया गया है कि देश में बहुत गर्म रातों की संख्या खतरनाक दर से बढ़ रही है, जो न केवल नींद को बाधित करती है बल्कि मानव शरीर को गर्मी से उबरने का मौका भी नहीं देती। अध्ययन के मुताबिक, पिछले दशक में 70% जिलों में गर्म रातों में इजाफा हुआ है, जबकि गर्म दिनों में यह आंकड़ा महज 28% है। मुंबई में हर साल औसतन 15 और जयपुर में 7 अतिरिक्त गर्म रातें रिकॉर्ड की जा रही हैं।

बढ़ती आर्द्रता, बढ़ता खतरा
CEEW के अध्ययन में यह भी पाया गया है कि सिंधु-गंगा के मैदानों में सापेक्षिक आर्द्रता 10% तक बढ़ गई है, जिससे शरीर को पसीने के जरिए ठंडा होने में मुश्किल हो रही है। दिल्ली, चंडीगढ़, वाराणसी जैसे शहर, जो कभी शुष्क माने जाते थे, अब ह्यूमिड हीट वेव की चपेट में आ रहे हैं।

सबसे ज्यादा खतरे में कौन?
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश देश के उन 10 राज्यों में शामिल हैं, जहां गर्मी का खतरा सबसे अधिक है। इनमें शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाके शामिल हैं—विशेषकर वे जिले जहां बड़ी संख्या में खेत मजदूर या बाहरी काम करने वाले लोग रहते हैं।

क्यों है यह रिपोर्ट अहम?
1982 से 2022 तक के जलवायु डेटा के विश्लेषण के आधार पर यह रिपोर्ट भारत के 734 जिलों के हीट रिस्क प्रोफाइल को दर्शाती है। इसमें 417 जिले अधिक या बहुत अधिक जोखिम में पाए गए हैं, जबकि 201 मध्यम और केवल 116 जिले तुलनात्मक रूप से कम जोखिम में हैं।

अब क्या करना चाहिए?
CEEW के CEO डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा, “अब गर्मी भविष्य की नहीं, बल्कि आज की समस्या है। हीट एक्शन प्लान को रात की गर्मी और नमी के पहलुओं को ध्यान में रखकर अपडेट करना होगा।”

CEEW ने राज्यों से कूल रूफ, हीट इंश्योरेंस, वार्ड-स्तरीय रिस्क असेसमेंट, और अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को लागू करने की सिफारिश की है। महाराष्ट्र, ओडिशा और तमिलनाडु जैसे राज्य पहले से इस दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं।

जागरूकता और समाधान की पहल
सीईईडब्ल्यू इस महीने एक पांच-भाग की वीडियो सीरीज भी शुरू करने जा रहा है, जिसे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय यूट्यूबर्स होस्ट करेंगे। इसका उद्देश्य सरल और सस्ते हीट रेस्पॉन्स उपायों को आम लोगों तक पहुंचाना है।

भारत तेजी से “हीट इमरजेंसी” की ओर बढ़ रहा है। अब गर्मी सिर्फ दोपहर तक सीमित नहीं, बल्कि रातों को भी घातक रूप ले चुकी है। नीति निर्माताओं से लेकर आम नागरिकों तक, सबको इस नई जलवायु वास्तविकता से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

Share This Article