मथुरा,19 मई 2025। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की जेल में एक अनोखा और सनसनीखेज प्रयोग शुरू हुआ है, जिसने न केवल कैदियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी, बल्कि सुधार की एक नई राह भी दिखाई। ‘जेल प्रीमियर लीग’ (JPL) के नाम से आयोजित इस क्रिकेट टूर्नामेंट ने आईपीएल की तर्ज पर जेल की दीवारों के भीतर चौके-छक्कों की गूंज पैदा कर दी है। अप्रैल 2025 में शुरू हुआ यह टूर्नामेंट कैदियों के मानसिक तनाव को कम करने और उनकी प्रतिभा को निखारने का एक अनूठा प्रयास है।
कैसे शुरू हुआ JPL?
मथुरा जेल प्रशासन ने कैदियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए यह अनोखा कदम उठाया। जेल अधीक्षक अंशुमन गर्ग के नेतृत्व में अप्रैल 2025 में JPL की शुरुआत हुई। जेल की विभिन्न बैरकों से आठ टीमें बनाई गईं, जिन्हें दो ग्रुपों में बांटा गया। टूर्नामेंट में 12 लीग मैच और दो सेमीफाइनल खेले गए, और फाइनल में ‘नाइट राइडर्स’ ने ‘कैपिटल्स’ को हराकर खिताब अपने नाम किया। कैदी कौशल को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ और ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ का खिताब मिला, जबकि भूरा और पंकज ने क्रमशः ऑरेंज और पर्पल कैप हासिल की।
कैदियों का जोश –
जेल के मैदान में कैदियों का उत्साह देखते ही बनता था। बैट और बॉल थामे कैदी न केवल खेल में डूबे, बल्कि हर शॉट और विकेट के साथ उनका जोश दोगुना होता दिखा। टूर्नामेंट ने न केवल उनकी फिजिकल फिटनेस को बढ़ाया, बल्कि आपसी भाईचारे और टीमवर्क को भी प्रोत्साहित किया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में कैदियों को उत्साह से खेलते और दर्शकों की तरह एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते देखा गया।
देश में पहला प्रयोग –
मथुरा जेल देश की पहली ऐसी जेल बन गई है, जहाँ आईपीएल की तर्ज पर इतने बड़े स्तर पर क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया। इस पहल को न केवल स्थानीय लोगों ने सराहा, बल्कि देशभर के सुधार गृहों के लिए यह एक मिसाल बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आयोजन कैदियों को समाज में दोबारा शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
आगे क्या?
जेल प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि JPL जैसे आयोजन भविष्य में भी जारी रहेंगे। साथ ही, अन्य खेलों और गतिविधियों को भी शामिल करने की योजना है। इस टूर्नामेंट ने साबित कर दिया कि जेल की ऊँची दीवारें न तो सपनों को कैद कर सकती हैं, न ही प्रतिभा को। मथुरा जेल का यह प्रयोग न केवल कैदियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है, बल्कि देश के अन्य कारागारों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।
क्या है मकसद?
जेल अधीक्षक अंशुमन गर्ग के मुताबिक, JPL का उद्देश्य कैदियों को एक रचनात्मक मंच देना है, जहाँ वे तनाव से मुक्ति पा सकें और अपने भीतर छिपी प्रतिभा को बाहर ला सकें। गर्ग ने बताया कि जेल में सुधार के लिए तीन स्तरों पर काम किया जा रहा है—आध्यात्मिक, शारीरिक, और बौद्धिक विकास। JPL शारीरिक विकास का हिस्सा है, जबकि भजन-कीर्तन और हास्य योग आध्यात्मिक विकास के लिए आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, क्विज़ और निबंध प्रतियोगिताएँ बौद्धिक विकास में मदद करती हैं।