KORBA : किसान सभा ने 11 मांगों को लेकर चालीस गांवों के हजारों लोगों ने SECL के गेवरा मुख्यालय पर डाला डेरा…अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में फंसे, रात को भी जारी रहेगा घेराव

गेवरा (कोरबा), 19 जुलाई । छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को खदान में काम देने,शासकीय भूमि पे कबीजों को रोजगार-बसावट एवं मुआवजा, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भू विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि 11मांगो को लेकर चालीस से अधिक गांवों के हजारों लोगों के साथ आज एसईसीएल के गेवरा मुख्यालय पर डेरा डाल दिया है।

आंदोलनकारियों द्वारा दोनों गेटों को जाम कर देने से आज दिन भर से अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में ही फंसे हुए हैं और पहले और दूसरे दौर की वार्ता विफल हो जाने के बाद आंदोलनकारियों द्वारा घेराव जारी रखने की घोषणा से रात में भी उनके निकलने की कोई संभावना नहीं है। घेराव कर रहे लोगों में महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है। एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। घेराव करने वालों में नेहरूनगर,विजयनगर, ढूरैना, खुसरूडीह,जुनाडीह,बेलटिकरी, झाबर,कोसमंदा, झींगटपूर, बिंझरा, सुहाभोडी, गंगानगर,मड़वाढोढा, पुरैना, नरईबोध, भैसमाखार, गेवरा, मन गांव,बरपाली, खमहरिया, जरहाजेल,दुल्लापुर, दूरपा, जटराज, सोनपुरी, बरकुटा,भठोरा, भिलाईबाजार, रलिया, बरभांठा, बरेली,रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, कुचैना,दादरपारा,बरमपुर एवं अन्य गांव के भूविस्थापित किसान शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि रोजगार और पुनर्वास से संबंधित 11 सूत्रीय मांगों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ ने 19 जुलाई से गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करने की घोषणा की थी। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पिछले 10 दिनों से चल रहे अभियान के नतीजे में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित हजारों ग्रामीण सड़कों पर उतर पड़े और रैली निकालकर मुख्यालय को आज सुबह 11 बजे से ही घेर लिया है। किसान सभा ने ऐलान किया है कि उनका आंदोलन तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन रोजगार, मुआवजा, बसावट के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा। भू विस्थापितों के इस आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन दिया है।

40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण इस क्षेत्र में किया गया था। आज हजारों भूविस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर विस्थापित ग्रामीण एसईसीएल पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगा रहे हैं। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, किसान सभा के जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू,नंदलाल कंवर,जय कौशिक, रोजगार एकता संघ के दामोदर श्याम, रेशम, रघु यादव, सुमेन्द्र सिंह ठकराल, दीना के साथ प्रभावित गांवों के शिवदयाल कंवर,सुभद्रा कंवर,वीर सिंह,राजेश कंवर, जोहीत राय,संजय,बसंत चौहान,ज्ञान सिंह,भुनेश्वर, देव कुंवर, बहेतरिन बाई, छत बाई,बाबूलाल कंवर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

पहले और दूसरे दौर के वार्ता में एसईसीएल प्रबंधन ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए समय मांगा, जिसे आंदोलनकारियों ने ठुकरा दिया है और बिलासपुर मुख्यालय से जिम्मेदार अधिकारियों को बुलाकर वार्ता करने की मांग पर अड़ गए हैं। माकपा नेता प्रशांत झा का कहना है कि इन मांगों पर ज्ञापन देने और घेराव की चेतावनी देने और इन्हीं मांगों पर कई-कई बार आंदोलन करने के बाद स्थानीय प्रबंधन के साथ वार्ता करने का कोई तुक नहीं है।विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए विस्थापित परिवार की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है।

किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद भी किसी सरकार ने और खुद एसईसीएल ने विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली। आज भी हजारों भूविस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है।
किसान सभा के नेता दीपक साहू, जय कौशिक आदि ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है और उनके साथ धोखाधड़ी कर रही है। इसलिए किसान सभा और अन्य संगठनों को मिलकर संघर्ष तेज करना होगा, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके।

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आंदोलनकारी मुख्यालय पर डेरा डाले हुए हैं।

घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन की प्रमुख मांगों मांगे :-
1) पूर्व में अधिग्रहित गांव के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण कर सभी भू विस्थापितों को रोजगार प्रदान किया जाये।
2) जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है और कि जा रही है उन सभी छोटे बड़े खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाये।
3) शासकीय भूमि पर कबीजों को भी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा एवं परिवार के एक सदस्य को रोजगार प्रदान किया जाये।
4) अधिग्रहित ग्रामों को पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
5) कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहित किये गये जमीनों को मूल किसानों को वापस किया जाये।
6) एसईसीएल में आऊट सोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को 100% रोजगार में रखा जाये।
7) प्रभावित एवं पुनर्वास गांव की महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाये।
8) पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाये।
9) पुनर्वास गांव गंगानगर में तोड़े गए मकानों, शोचालयो का क्षतिपूर्ति मुआवजा तत्काल दिया जाये।
10) डिप्लेयरिंग प्रभावित गांव में किसानों को हुये नुकसान का क्षतिपूर्ति मुआवजा प्रदान किया जाये।
11) विजयनगर(बरेली,खुसरूडीह, कोसमंदा,बिंझरा),गंगानगर,नेहरू नगर,भैसमाखार,वैशालीनगर, बेलटिकरी,सिरकी समेत पुनर्वास सभी गांव को पूर्ण विकसित मॉडल गांव बनाया जाये और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराया जाये।

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