कोरबा,15 मई 2025(वेदांत समाचार)। ग्रामीण विकास के लिए सरकार का फोकस है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हर कहीं तस्वीर एक जैसी होगी। कोरबा जिले के लदगढ़ में न तो बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही आगे बढऩे की कोई योजना। आलम ये है कि बारिश में यहां के बच्चों को स्कूल जाने का कोई विकल्प मिलता ही नहीं। स्वास्थ्य की स्थिति में भी लोग हलाकान हो जाते हैं। ये हालात तब हैं जब स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के इस इलाके का नाम है लदगढ़, जो उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। अरसे बाद स्थानीय लोगों ने पक्की सडक़ नहीं देखी है और न ही दूसरी सुविधाएं। 400 की आबादी अभी भी कृषि युग में जीने को मजबूत है। गांव से मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए लोगों को जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र तो है, लेकिन प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय का नामोनिशान नहीं है। यहां के बच्चों को तीन किलोमीटर दूर मड़ई ग्राम जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है। बरसात के दिनों में जब रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है, तो बच्चे ढाई से तीन महीने स्कूल से दूरियां बना लेते हैं।
खबर के अनुसार एकमात्र बोरवेल जलापूर्ति के लिए यहां दिया गया है। गर्मी के महीनों में यह भी अपर्याप्त साबित हो रहा है। ग्रामीण करीब डेढ़ किलोमीटर दूर नाले का गंदा पानी साफ कर पीने को मजबूर हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ग्रामीणों के अनुसार, आज तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इस गांव तक नहीं पहुंचा है। शासन द्वारा चलाए गए सुशासन तिहार के अंतर्गत गांव में बने शौचालयों की शिकायत का तो समाधान हो गया, लेकिन सडक़, पानी और स्कूल जैसी प्राथमिक जरूरतों की ओर अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने बताया कि जंगली जानवरों की चुनौती भी यहां पर है। उपर से किसी भी प्रकार के कार्यक्रम करने के दौरान करीबी रिश्तेदारों को बुलाया तो जाता है लेकिन उनके आने-जाने की समस्या होती है। ऐसे में खर्चे भी ज्यादा होते हैं और टेंशन भी।
जल्द ली जाएगी रिपोर्ट
लदगढ़ के बच्चे केवल इस वजह से बारिश के दिनों में स्कूल नहीं जा पाते क्योंकि कच्चे रास्ते की अड़चन उनके सामने होती है यह अपने आप में गंभीर मसला है और मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है। संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच से प्रस्ताव आने पर इस दिशा में जिला खनिज न्यास से आवश्यक कार्य कराया जाएगा। जल्द ही बीईओ से भी रिपोर्ट ली जाएगी।
–तामेश्वर उपाध्याय, डीईओ कोरबा
करा रहे परीक्षण
मड़ई पंचायत के आश्रित ग्राम की समस्याओं को लेकर जानकारी हुई है। लोगों को सुविधाएं प्राप्त हो यह आवश्यक है। गांव की वास्तविक स्थिति और समस्याओं को लेकर परीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ शीघ्रता से अगले कार्य किये जाएंगे।
-टी.आर. भारद्वाज, एसडीएम पोड़ी उपरोड़ा
लकड़ी और बांस के पुल का सहारा, बीमार पडऩे पर और समस्या
वर्षा ऋतु में यह पगडंडी मार्ग पूरी तरह कीचड़ और पानी में तब्दील हो जाता है। गांव से होकर एक नाला गुजरता है, जिसमें बारिश के समय पानी का स्तर इतना बढ़ जाता है कि बच्चों और बुजुर्गों का आना-जाना असंभव हो जाता है।ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ से लकड़ी और बांस से बनाए अस्थायी पुलों का सहारा लिया है, लेकिन ये कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। जब किसी व्यक्ति की तबीयत बिगड़ती है, तो उसे खाट पर लादकर करीब तीन किलोमीटर दूर सडक़ तक ले जाना पड़ता है, जहाँ से किसी वाहन का सहारा मिल सके।
सुशासन तिहार में समस्याएं आई सामने
पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के इस गांव में सुशासन तिहार के अंतर्गत अफसरों की पहुंच न के बराबर रही। बताया गया कि मूल रूप से बुनियादी मसलों को लेकर अपने स्तर पर आवेदन किए। ट्रेंड के हिसाब से निराकरण कर भी दिया गया लेकिन वास्तविकता यही है कि जो चीजें जमीन पर नजर आ रही है उनका समाधान होगा कैसे। ग्रामीण चाहते हैं कि दिखावे से अलग हटकर समस्याओं को निराकृत किया जाए।