नई दिल्ली। आरबीआइ ने शनिवार को कहा कि प्रिंटिंग प्रेस की ओर से भेजे गए नोटों का उसके पास उचित लेखा-जोखा रहता है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने सोशल मीडिया पर चल रही उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें कथित रूप से बड़ी मात्रा में 500 के नोटों के गायब होने की बात कही जा रही थी।
प्रिंटिंग प्रेस से जुटाई गई जानकारी की गलत व्याख्या की गई: आरबीआइ
आरबीआइ ने कहा कि यह रिपोर्ट सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्रिंटिंग प्रेस से जुटाई गई जानकारी की गलत व्याख्या पर आधारित हैं। आरबीआइ ने कहा कि प्रेसों में प्रकाशित और आरबीआइ को भेजे गए बैंक नोटों के मिलान के लिए मजबूत प्रणालियां मौजूद हैं। इनमें बैंक नोटों के उत्पादन, भंडारण और वितरण की निगरानी के लिए प्रोटोकॉल शामिल है।
2000 रुपये के नोट को प्रचलन से लिया गया वापस
पिछले महीने ही आरबीआइ ने 2000 रुपये के नोट को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की है। साथ ही 30 सितंबर तक लोगों को इन्हें बैंकों से बदलने की सुविधा दी है।
2000 रुपये बैंकनोट को नवंबर 2016 में आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 24(1) के तहत पेश किया गया था। हालांकि, 2018-19 में 2000 रुपए के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी।
आरटीआई के जरिए हुआ चौंकाने वाले खुलासा
बता दें कि कई मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह खबरी चल रही है कि नए डिजाइन वाले 500 रुपये के नोट गायब हैं। रिपोर्टस के मुताबिक, गायब नोटों की वैल्यू 88 हजार रुपये है। इस जानकारी का खुलासा सूचना का अधिकार यानी आरटीआई के तहत पूछे गए सवालों से हुआ। गौरतलब है कि आरबीआइ द्वारा इन रिपोर्ट्स की जानकारी पर सवाल खड़े किए गए हैं।
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