Vedant Samachar

वायु प्रदूषण और शोर की दोहरी मार से बढ़ सकता है स्ट्रोक का खतरा, रिसर्च में हुआ खुलासा

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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में वायु प्रदूषण और शोरगुल एक आम बात हो गई है. हम रोज़ अपने आस-पास धूल, धुआं और ट्रैफिक के शोर से घिरे रहते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये दोनों चीज़ें मिलकर हमारे दिमाग पर खतरनाक असर डाल रही हैं? हाल ही में एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. वायु प्रदूषण और सड़क के शोर की दोहरी मार से स्ट्रोक (brain stroke) का खतरा काफी बढ़ सकता है.

डेनमार्क में की गई इस स्टडी में करीब 3.5 मिलियन लोगों के डेटा का विश्लेषण किया गया. यह अध्ययन करीब 10 सालों तक किया गया. रिसर्च में यह पाया गया कि जिन इलाकों में वायु प्रदूषण और सड़क का शोर ज्यादा था, वहां लोगों को स्ट्रोक होने का खतरा भी ज्यादा देखा गया. इस स्टडी में खासतौर पर दो मुख्य कारणों पर ध्यान दिया गया.

गाड़ियों से होने वाला लगातार शोर
हवा में मौजूद बारीक प्रदूषण कण (PM2.5) और गाड़ियों से होने वाला लगातार शोर का जब असर एक साथ होता है, तो हमारे मस्तिष्क की नसों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

कैसे करता है वायु प्रदूषण नुकसान?
हवा में मौजूद बारीक कण (PM2.5) हमारे फेफड़ों के ज़रिए खून में पहुंच जाते हैं. ये कण खून में सूजन पैदा करते हैं और धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे खून का बहाव प्रभावित होता है, जो स्ट्रोक का मुख्य कारण बन सकता है. इसके अलावा, प्रदूषण से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन जैसी समस्याएं भी होती हैं, जो दिमाग की नसों को कमजोर कर सकती हैं.

शोर का मस्तिष्क पर असर
लगातार ट्रैफिक का शोर या तेज आवाजें मस्तिष्क के लिए तनाव का कारण बनती हैं. जब इंसान लंबे समय तक शोर में रहता है, तो उसकी नींद पर असर पड़ता है, दिल की धड़कन तेज होती है और मानसिक थकावट बढ़ जाती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, शोर हमारे नर्वस सिस्टम को एक्टिव रखता है, जिससे हार्मोनल बदलाव होते हैं और इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. यह सब मिलकर स्ट्रोक के खतरे को और बढ़ा देते हैं.

किसे है ज्यादा खतरा?
इस रिसर्च के अनुसार, बुजुर्गों, दिल के मरीजों, डायबिटीज के रोगियों और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों में यह खतरा ज्यादा देखा गया. साथ ही जो लोग ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां प्रदूषण और शोर दोनों ज्यादा हैं, वे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

बचाव के लिए क्या करें?
प्रदूषण से बचाव: जब हवा की गुणवत्ता खराब हो, तो बाहर जाने से बचें या मास्क पहनें.

हरा-भरा वातावरण: अपने घर के आसपास पौधे लगाएं, जिससे प्रदूषण कम हो सके.

खिड़कियां बंद रखें: ट्रैफिक वाले इलाकों में शोर से बचने के लिए घर की खिड़कियां बंद रखें.

आरामदायक नींद: सोने का कमरा शांत और साफ-सुथरा रखें, ताकि नींद पूरी हो सके.

स्वस्थ जीवनशैली: रोज़ाना व्यायाम करें, संतुलित आहार लें और तनाव से बचें.

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