ब्रिक्स की मांग बढ़ी तो परिवार ने हाथ बढ़ाकर किया सहयोग
जांजगीर-चांपा । लोहर्सी गौठान में गंगाजली स्व सहायता समूह आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं। समूह की 10 महिलाएं आत्मविश्वास के साथ तरक्की की ओर कदम बढ़ाते हुए फ्लाईऐश से ईंट निर्माण का काम कर रही हैं। निर्माण की गई यह ईंटें किफायती दरों पर आसपास के गांवों में विक्रय की जा रही हैं। महिलाओं ने जो काम देखने और सुनने में मुश्किल लगता है उस कार्य को अपनी मेहनत से आसान बना दिया और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एनजीजीबी के तहत बनाई सुराजी गांव गौठान से आर्थिक उन्नति के साथ आगे बढ़ने लगी।
जांजगीर-चांपा जिले की पामगढ़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत लोहर्सी की सुराजी गांव योजना के तहत बनाई गई गौठान में आजीविका गतिविधि ईंट निर्माण कार्य को महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है। समूह को एनआरएलएम की चक्रिय निधि से 15 हजार एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से 1 लाख रूपए की राशि सहायता के साथ ही डीएमएफ की राशि से फ्लाई ऐश ब्रिक्स मशीन भी प्रदाय की गई।
इसके अलावा गौठान में शेड, बिजली, पानी की व्यवस्था भी समूह को दी गई। इसके बाद समूह ने ब्रिक्स बनाने के लिए केएसके प्लांट से कच्ची सामग्री ली। गंगाजली समूह की अध्यक्ष सुखबाई भैना बताती हैं कि फ्लाईऐश ब्रिक्स का कार्य बरी, पापड़, बैग बनाने जैसा नहीं है, यह बहुत मेहनत का काम था, इसलिए इस कार्य को शुरू करने से पहले प्रशिक्षण लिया गया, इसके उपरांत गौठान में स्थापित की गई मशीन से ब्रिक्स बनाना शुरू किया।
जिसमें दिनभर समूह की महिलाएं काम करती हैं और लगभग पंद्रह सौ ईंट तैयार करती है। समूह की महिलाएं अपनी लगन, मेहनत और पूरी ऊर्जा के साथ इस कार्य को करती आ रही हैं। इस कार्य में उनका साथ सुमित्रा भैना, उमा साहू, गनेशी बाई, संतोषी भैना, सीतााबाई साहू, गीता साहू, सुकमत साहू, प्रभा साहू, फूलकुंवर भैना दे रही हैं। वह बताती हैं कि उनके द्वारा गौठान में मिली सुविधाओं का लाभ लेते हुए 50 हजार ब्रिक्स का निर्माण किया जा चुका है।
दूसरों गांवों में ईंट की मांग
समूह द्वारा फ्लाईऐश से तैयार की जा रही ब्रिक्स की मांग न केवल लोहर्सी गांव में है, बल्कि आसपास के एक दर्जन गांवों में हो रही है। आसपास के ठेकेदार भी इनसे ईंट लेने आ रहे हैं। समूह की सदस्यों ने बताया कि देवरी, खोरसी, कामता, बोरदा आदि गांवों में मकान बनाने के लिए ईंट लोग ले जा रहे हैं। समूह द्वारा ईंट तैयार करके उनके बताये गये पते पर ईंट भेज दी जाती है, या फिर संबंधित व्यक्ति, ठेकेदार स्वयं गौठान से ही ईंट लेकर जाते हैं।
प्रति ट्रेक्टर जिसमें 2 हजार ईंट बनती है उसे 66 सौ से 7 हजार रूपए के मान से विक्रय किया जा रहा है। समूह की महिलाओं का कहना है कि ईंट बनाने के दौरान एवं रात में रखवाली करने के लिए उनका परिवार भी सहयोग करता है। सभी की एकजुटता से किये जा रहे इस कार्य की सराहना गांव के लोग कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे कठिन कार्यों को बहुत कम महिलाओं द्वारा किया जाता है, इस कार्य को करते हुए जहां उनकी तारीफ हो रही है वहीं दूसरी ओर समूह की महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है।
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