रायपुर ,28 मई । चार दिवसीय गुजरात दौरे के दूसरे दिन रविवार को छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन के चेयरमेन अरुण वोरा ने गांधीनगर स्थित अत्याधुनिक फूड रिसर्च लैब का दौरा किया। लैब के उच्चाधिकारियों ने बताया कि राज्य में राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए गुजरात स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन अधिकृत संस्था है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित किये जाने वाले सभी प्रकार के अनाजों के सेंपलों को फूड रिसर्च लेब से जांच के बाद ही हितग्राहियों को वितरित किया जाता है।
फूड रिसर्च सेंटर की मुख्य गुणवत्ता प्रबंधक मानसी पटेल, संस्था की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर देवांगी देसाई, सीनियर टेक्निकल आफिसर सीडी बापोदरा और टेक्निकल आफिसर जीपी दरबार ने लैब के अत्याधुनिक यंत्रों की जानकारी दी। इस दौरान वोरा ने फूड रिसर्च सेंटर गांधी नगर के तकनीकी विशेषज्ञों को छत्तीसगढ़ प्रवास पर आने का न्यौता दिया गया। वोरा ने नवा रायपुर में बन रहे फूड टेस्टिंग लेब के टेक्निकल स्टाफ को तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराने की अपील की।
फूड रिसर्च लैब, गांधी नगर के अधिकारियों ने कहा कि इस संबंध में नवा रायपुर में बन रहे लैब के स्टाफ को हरसंभव तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंधक ( वैज्ञानिक भंडारण एवं गुणवत्ता नियंत्रक) और फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी रायपुर के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी मोहम्मद आगा हुसैन भी मौजूद रहे। लैब का अवलोकन करने के बाद वोरा ने 6100 मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम का अवलोकन किया। गोदाम में भंडारित चना व सरसों के भंडारण व्यवस्था का जायजा लेते हुए वोरा ने गुजरात स्टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन की कार्यविधि और स्टाक किये जाने की पूरी व्यवस्था की विस्तार से जानकारी ली।
गुजरात स्टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन के प्रबंधक (भडारण) केएल वाघेला ने वोरा को बताया कि गुजरात स्टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन के गोदामों में नाफेड का मूंगफली, सरसों और दलहन (चना, अरहर, मूंग, उरद) आदि का बहुतायत में भंडारण किया जाता है। गुजरात स्टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन के मुख्य अभियंता गौरांग शाह ने वोरा को बताया कि वर्तमान में निगम की स्वनिर्मित क्षमता 16 लाख टन है। हाल के वर्षों में 250 करोड़ की लागत से विशाल लैंड बैंक तैयार कराए गए हैं। गुजरात स्टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन पूर्व में घाटे में चल रहा था लेकिन अब कार्पोरेशन लाभदायक संस्था बन गया है। पूर्ण रूप से ऑटोनॉमस होने के कारण इसकी राज्य शासन व केंद्र शासन पर निर्भरता लगभग नगण्य है।
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