कोरिया ,26 मई । जिले के विकासखण्ड बैकुण्ठपुर का ग्राम गौठान मझगवां में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना के तहत विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें से एक है गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण कार्य। प्रगति स्व सहायता समूह की महिलाएं यहां पेंट निर्माण कार्य से जुड़ीं हैं। यह प्राकृतिक पेंट महिलाओं के जीवन में खुशहाली के रंग भर रहा है। फरवरी से यहां गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की इकाई संचालित है और महज 4 महीनों के अंदर ही इन्होंने 2350 लीटर पेंट का उत्पादन किया है, जिसमें से लगभग 2200 लीटर पेंट का विक्रय कर लगभग 4 लाख 60 हजार रुपए की आमदनी भी की है। छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार सभी शासकीय कार्यालयों एवं स्कूलों में रंग रोगन के लिए यह उपयोग में लिया जा रहा है। सफल उद्यमी बनकर उभरी महिलाएं, प्रतिदिन लगभग 200 लीटर पेंट का कर रहीं उत्पादन, गौठान तथा सी मार्ट के माध्यम से किया जा रहा विक्रय
समूह की अध्यक्ष सुमन राजवाड़े बताती हैं कि गोबर पेंट इकाई के माध्यम से समूह की महिलाओं को स्व रोजगार का नया आयाम हासिल हुआ है जिससे वे अपने और अपने घरवालों को आर्थिक संबल प्रदान कर रही हैं। पहले महिलाओं के द्वारा गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा था, आज इसके साथ ही साथ रीपा के तहत गोबर से पेंट बनाकर हम जैसी घरेलू महिलाएं सफल उद्यमी बनकर उभरी हैं। वर्तमान में समूह की महिलाएं बाजार की मांग के आधार पर प्रतिदिन लगभग 200 लीटर पेंट तैयार कर रही हैं। निर्मित पेंट को गौठान और सी मार्ट के माध्यम से प्राकृतिक पेंट्स ब्रांड के नाम से बाजार में विक्रय किया जा रहा है। उत्पादन को राष्ट्रीय स्तर का बाजार उपलब्ध कराने के लिए खादी इंडिया से जोड़ा गया है ताकि बड़े पैमाने पर उत्पाद को बाजार की उपलब्धता बनी रहे। आने वाले समय में यह कार्य कोरिया जिले के लिए नई पहचान बनेगा।
ऐसे बनता है गोबर से प्राकृतिक पेंट
समूह की कुछ महिलाओं को जयपुर राजस्थान में गोबर से पेंट बनाने का प्रशिक्षण दिलाया गया है, यहां उन्हें निर्माण के सम्बन्ध में विधिवत जानकारी दी गई। गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में पहले गोबर और पानी के मिश्रण को मशीन में डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है और फिर बारीक जाली से छानकर अघुलनशील पदार्थ हटा लिया जाता है। फिर कुछ रसायनों का उपयोग करके उसे ब्लीच किया जाता है तथा स्टीम की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। उसके बाद सीएमएस नामक पदार्थ प्राप्त होता है। इसे डिस्टेम्पर और इमल्सन के रूप में उत्पाद बनाए जा रहे हैं। रीपा गौठान मझगवां में लगी हुई पेंट यूनिट से आवश्यकतानुसार मात्रा में पेंट का अलग-अलग उत्पाद लिया जा सकता है। इसकी औसत दैनिक उत्पादक क्षमता लगभग 500 लीटर है।
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