भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए थलसेना प्रमुख (Chief of the Army Staff) को एक खास अधिकार दे दिया है. अब ज़रूरत पड़ने पर वो टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) के सभी जवानों और अफसरों को देश की सुरक्षा और जरूरी कामों के लिए बुला सकेंगे.
ये फैसला सरकार ने 1948 के टेरिटोरियल आर्मी नियमों के तहत लिया है और इसकी जानकारी 6 मई को भारत के राजपत्र (The Gazette of India) में छपी एक अधिसूचना के ज़रिए दी गई है.
क्या है टेरिटोरियल आर्मी?
टेरिटोरियल आर्मी वो फौज है जिसमें आम नागरिक भी शामिल हो सकते हैं, जो आम तौर पर अपनी दूसरी नौकरियां करते हैं लेकिन ज़रूरत पड़ने पर देश सेवा के लिए बुलाए जा सकते हैं. ये जवान आमतौर पर देश की अंदरूनी सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा, इमरजेंसी जैसी स्थितियों में मदद के लिए तैनात किए जाते हैं.
सरकार ने क्या आदेश दिया है?
सरकार ने कहा है कि अभी जो 32 टेरिटोरियल आर्मी की बटालियन हैं, उनमें से 14 बटालियन को ज़रूरत के हिसाब से देश के अलग-अलग इलाकों में तैनात किया जा सकता है. ये इलाके हैं –
- साउथर्न कमांड (दक्षिण भारत)
- ईस्टर्न कमांड (पूर्वी भारत)
- वेस्टर्न कमांड (पश्चिम भारत)
- नॉर्दर्न कमांड (उत्तर भारत)
- सेंट्रल कमांड (मध्य भारत)
- साउथ वेस्टर्न कमांड
- अंडमान और निकोबार कमांड
- और आर्मी ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC)
हालांकि ये तैनाती तभी होगी जब रक्षा मंत्रालय के पास इसके लिए बजट होगा या फिर पहले से बने बजट में से ही कुछ पैसे बचा लिए जाएं. अगर किसी और मंत्रालय की मांग पर टेरिटोरियल आर्मी तैनात की जाती है, तो उस खर्च का बोझ उस मंत्रालय को उठाना पड़ेगा – रक्षा मंत्रालय नहीं देगा.
आदेश कब से लागू है?
ये आदेश 10 फरवरी 2025 से लागू होगा और अगले तीन साल यानी 9 फरवरी 2028 तक प्रभाव में रहेगा.
इस फैसले से यह साफ है कि सरकार अब देश की सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत करना चाहती है. टेरिटोरियल आर्मी को ज़रूरत के समय इस्तेमाल करके, फौज पर पड़ने वाले बोझ को कम किया जा सकता है. साथ ही, किसी इमरजेंसी या खास ज़रूरत के समय फौरन मदद मिल सकेगी.