‘The Kerala Story’ पर 16 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, फिल्म को प्रतिबंधित करने के लिए दाखिल याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। हालांकि, यह फिल्म 5 मई को देश के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को पत्रकार कुर्बान अली द्वारा दायर अपील का उल्लेख किया।

16 मई को होगी सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने इसे आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई, लेकिन बाद में कहा कि कुछ मामलों की सुनवाई सोमवार दोपहर तीन बजे विशेष पीठ के समक्ष निर्धारित होने के कारण इस मामले पर अगली सुनवाई 16 मई को सुनवाई होगी।

फिल्म पर रोक लगाने की मांग उठाई गई

वरिष्ठ वकील ने कहा कि इस पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि उच्च न्यायालय ने पांच मई को फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायाधीशों द्वारा फिल्म का टीजर देखे जाने के बाद उच्च न्यायालय का आदेश पारित किया गया। कई याचिकाओं में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी और यहां तक कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा दिए गए प्रमाणन पर भी आपत्ति जताई गई थी।

दलील दी गई है कि इससे फैल सकती है नफरत

याचिकाकर्ता अली ने अपनी याचिका में कहा कि फिल्म नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है, क्योंकि इसमें दावा किया गया है कि केरल की करीब 32,000 लड़कियों को उनके मुस्लिम दोस्तों ने आईएसआईएस में शामिल होने का लालच दिया था।

अली ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि इससे विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता और नफरत पैदा होती है। सर्वोच्च अदालत ने तीन मई को फिल्म से संबंधित याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट जाने को कहा था।

पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार से मांगा जवाब

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष इन याचिकाओं को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की मांग की गई थी, जिसमें फिल्म के शीर्षक में यह डिस्क्लेमर जोड़ने की मांग की गई थी कि यह काल्पनिक कृति है।

शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को ‘द केरल स्टोरी’ के निर्माताओं की एक अलग याचिका पर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था कि इन दोनों राज्यों के सिनेमाघरों में फिल्म क्यों नहीं दिखाई जा रही है।

सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपयुक्त है फिल्म

पश्चिम बंगाल ने सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन के तीन दिनों के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि तमिलनाडु ने फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन प्रदर्शकों ने सुरक्षा के कारण सिनेमाघरों से नाम वापस ले लिया है।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, “हमने पाया है कि फिल्म के ट्रेलरों में किसी खास समुदाय के लिए कुछ भी अपमानजनक नहीं है।” अदालत ने कहा था कि सीबीएफसी ने फिल्म की जांच की है और इसे सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपयुक्त पाया है।

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