IPS Dipka : सेल्फ डिफेंस की विभिन्न कलाओं से पारंगत हो रहे Summer Camp के प्रतिभागी

कोरबा, 08 मई । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में संचालित समर कैंप में बच्चों के लिए एक खास एक्टिविटी सेल्फ डिफेंस को भी स्थान दिया गया है ।रोजाना समर कैंप में आने वाले विद्यार्थियों को सेल्फ डिफेंस के विभिन्न तौर तरीकों से अवगत कराया जाता है। उन्हें किक ,बॉक्सिंग ,जूडो ,कराटे ,मार्शल आर्ट ,काता इत्यादि की सतत ट्रेनिंग दी जा रही है। सेल्फ डिफेंस की शिक्षा एवं प्रशिक्षण विद्यालय के खेल प्रशिक्षक श्री लीलाराम यादव के मार्गदर्शन में दिया जा रहा है।

विद्यार्थियों को निरंतर कराटे जूडो एवं मार्शल आर्ट की भी ट्रेनिंग दी जा रही है। सुबह विद्यालय कर बच्चे कराटे के ड्रेस पहनकर मैदान में कतार बद्ध एकत्रित होते हैं एवं कराटे तथा किक बॉक्सिंग का ट्रेनिंग लेते हैं। प्रशिक्षक श्री राम यादव ने विद्यार्थियों को फ्लाइंग किक एवं राउंड किक के बारे में भी बारीकी से बताया कि किस तरह हम फ्लाइंग किक और राउंड किक का इस्तेमाल अगर कर रहे हैं तो अपनी बॉडी को कैसे बैलेंस कर दोबारा उसी स्थिति में आ सकते हैं उन्होंने इसका विद्यार्थियों को प्रशिक्षण भी दिया तथा अभ्यास करवाया।इन सभी प्रशिक्षण को बच्चे बहुत उत्साहित होकर सीख रहे हैं। समर कैंप के प्रतिभागियों को हायकिंग, ट्रेकिंग की भी निरंतर शिक्षा एवं प्रशिक्षण दी जा रही है।


विद्यालय के सेल्फ डिफेंस ट्रेनर लीलाराम यादव ने कहा किआईपीसी की धारा 96 से लेकर 106 तक राइट टू सेल्फ डिफेंस का प्रावधान है. इसके तहत हर व्यक्ति को अपनी सुरक्षा, अपनी पत्नी की सुरक्षा, अपने बच्चों की सुरक्षा, अपने करीबियों और अपनी संपत्ति की सुरक्षा कर सकता है. इसे कानून की भाषा में आत्मरक्षा का अधिकार यानी राइट टू सेल्फ डिफेंस कहा जाता है।कानून कहता है कि कोई भी शख्स अपने बचाव में किसी और को उतना ही नुकसान पहुंचा सकता है जितना उसके बचाव के लिए जरूरी था। आईपीसी की धारा 103 के मुताबिक लूट, रात्रि में घर में सेंध, आगजनी, चोरी आदि की स्थिति में अगर जान का खतरा हो तो आक्रमणकारी की हत्या करना न्याय संगत होगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 96 से लेकर 106 तक की धारा में सभी व्यक्तियों को सेल्फ डिफेंस का अधिकार दिया गया है
व्यक्ति स्वयं की रक्षा किसी भी हमले या अंकुशके खिलाफ कर सकता है।
व्यक्ति स्वयं की संपत्ति का रक्षा किसी भी चोरी, डकैती, शरारत व अपराधिक अत्याचार के खिलाफ कर सकता है।
पेरेंट्स या फॅमिली पर हमला होते हुए देखकर भी कानून हाथ में लिया जा सकता है।


प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता ने कहा कि एक नागरिक को खुद की रक्षा करने का प्रावधान दिया गया है। भारतीय दंड संहिता कि धारा 100 के अनुसार, खुद को किसी भी हमले से बचाने के लिए हमलावर पर वार करना कोई अपराध नहीं माना जाता बल्कि यह एक अधिकार है। उसे खुद की रक्षा करने के दायरे से खुद पर लगे आरोप से बरी कर दिया जाता है।इसका बेसिक सिद्धांत यही है कि खुद की रक्षा करो, लेकिन कानून के दायरे में रह कर।हमारे जीवन की रक्षा का दायित्व हमारे हाथ में हैं अतः प्रत्येक भाई बहिन सबल बने तथा आत्मरक्षा की शिक्षा पाए जिससे निडर व बेखौफ होकर जीवन को जीया जा सके।
सभी को अपने जीवन की रक्षा करना महत्वपूर्ण होता है. आत्मरक्षा हमारा कर्तव्य है. खासकर आजकल बढ़ते भ्रष्टाचार तथा लूटमार के समय में खुद को बचाना काफी जरुरी है।