हर परिस्थितियों में ईश्वर के सुमिरन से ही मानव का कल्याण निहित – आचार्य नूतन पांडेय
कोरबा, 05 मई । परिस्थितियां अनुकूल हों या प्रतिकूल,सुख में हों या दुख में हमें हर परिस्थितियों में ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इसी में मानव का कल्याण निहित है। भक्त प्रहलाद के अटूट भक्ति से नारायण उसकी रक्षा निमित्त लोहे के गर्म स्तम्भ से नरसिंह अवतार में प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध कर प्रहलाद की भक्ति अटूट आस्था की लाज रखी।
उक्त बातें ग्राम तिलकेजा से पधारे प्रख्यात कथावक्ता पंडित नूतन कुमार पांडेय ने श्री माता कर्मा मंदिर प्रांगण बुधवारी बाजार दीपका में ग्राम सलिहाभांठा निवासी श्री भागीरथी महतो श्रीमती शांति देवी महतो द्वारा कुल एवं आत्मकल्याण निमित्त आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चतुर्थ दिवस बुधवार को आयोजित कथा के दौरान कही । आचार्य श्री पांडेय ने कहा कि किसी का कद देकर उसकी योग्यता का आंकलन हमें नहीं करना चाहिए। भगवान श्री हरि ने अभिमानी राजा बलि का अभिमान तोड़ने 100 वें यज्ञ के पूर्ण होने से पूर्व 52 इंच के वामन अवतार में पहुंच 3 पग भूमि भिक्षा में मांग तीनों लोक नाप दिया।
आचार्य श्री पांडेय ने कहा कि जीवन में हमें मर्यादित होना अत्यंत आवश्यक है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने सम्पूर्ण जगत को मर्यादा का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है नारायण अवतार लेते हैं अत्याचारी कंस का वध करने नारायण ने श्री कृष्ण रूप में अवतरित होकर सम्पूर्ण जगत को उसके अत्याचार से मुक्त किया। समूचे जगत में प्रेम का संचार किया। भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। कथा स्थल पर नयनाभिराम झांकी निकाली गई ।
प्रदीप श्रीमती भुवनेश्वरी जायसवाल की नन्हीं परी ऐशानी (टुकटुक) कृष्ण बनीं तो वहीं मनोज आरती महतो के सुपुत्र गौरव (बिट्टू)महतो वासुदेव बने। दोनों की वेशभूषा ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा स्थल पर जैसे ही वासुदेव जी टोकरी में बाल कान्हा को लेकर वृंदावन रूपी पंडाल पर पहुंचे पुष्प वर्षा के साथ अभिनंदन किया गया। श्रोतागण झूम उठे। बाल कान्हा का प्रमुख यजमान भागीरथी शांति देवी महतो एवं पुत्र पुत्रियों ने पुष्पाहार पहना, पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। सभी श्रोतागण नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की धुन पर खूब झूमे। सभी ने बाल कान्हा की पूजा अर्चना कर खुशहाल जीवन की कामना की। आचार्य श्री पांडेय ने बाल कान्हा को गोद में लेकर तिलक कर अभिनन्दन किया ।
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