बिलासपुर। बिलासपुर का मोहन जरूरतमंदों को निःशुल्क एंबुलेंस सेवा दे रहा है. पिछले 15 सालों से मोहन लोगों की मदद करता आ रहा है. एंबुलेंस समय पर न मिलने पर मोहन की मां की मौत हो गई थी जिसके बाद से मोहन लोगों की मदद कर रहा है.
मां की मौत के बाद मोहन ने अपनी कार को बेच दिया. उस पैसे से मोहन ने एंबुलेंस खरीदा. मोहन का कहना है कि जिस तरह एम्बुलेंस न मिलने पर उसकी मां की जान गई है. वैसा किसी और के साथ न हो. इसलिए मोहन एंबुलेंस के पेट्रोल का खर्च खुद उठाते हैं. ड्राइविंग भी खुद करते हैं. पिछले 15 सालों से मोहन इस काम में लगे हुए हैं. मोहन को इस बात का हमेशा मलाल रहता है कि काश! उस दिन समय से एंबुलेंस मिल जाता तो मां की जान बन जाती.
मोहन का टेंट का व्यवसाय है. उनके पास माल ढोने वाली ऑटो है. शुरुआत में वे सड़कों में दुर्घटनाग्रस्त मरीजों और मृत देह को उनके घर तक पहुंचाने के लिए ऑटो का उपयोग करते थे. ऑटों में शव ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन मरीजों को अस्पताल पहुंचाते समय ऑक्सीजन न मिलने से परेशानी और बढ़ जाती थी. इसलिए मोहन ने अपनी कार बेचकर एक वैन खरीदा और उसे एंबुलेंस का रुप दे दिया. इसी वैन से अब मोहन मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं.
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