KORBA : वेद वृक्ष है तो भागवत उसका फल, श्रीमद्भागवत कथा रुपी अमृतगंगा के आगे अमृत भी फीके, कुकर्मी प्रेतआत्मा धुंधकारी को मिल गई मोक्ष -आचार्य नूतन पांडेय

0.माता कर्मा मंदिर दीपका में महतो परिवार के संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का कलश यात्रा के साथ हुआ शुभारंभ

कोरबा,02 मई । वेद वृक्ष है तो भागवत उसका फल । यही वजह है कि जब देवगण शुकदेव महराज जी के पास श्रीमद्भागवत भागवत कथा रुपी अमृतगंगा की याचना को लेकर पहुंचे और कहा कि महराज आप यह अमृत कलश स्वीकार कीजिए और श्रीमद्भागवत कथा रूपी अमृतगंगा हम देवताओं को दे दो तो शुकदेव महराज ने यह कहकर इनकार कर दिया कि आपके पास जो अमृत कलश है उससे इंसान सिर्फ एक जन्म में मृत्यु को जीत अमरत्व को प्राप्त कर सकता है लेकिन मेरे पास जो श्रीमद्भागवत भागवत कथा रूपी अमृतगंगा है जो शुक द्वारा चखा गया है ,उससे जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर सातों जन्म के लिए मोक्ष की प्राप्ति होती है।

उक्त बातें ग्राम तिलकेजा से पधारे प्रख्यात कथावक्ता पंडित नूतन कुमार पांडेय ने श्री माता कर्मा मंदिर प्रांगण बुधवारी बाजार दीपका में ग्राम सलिहाभांठा निवासी भागीरथी महतो श्रीमती शांति देवी महतो द्वारा कुल एवं आत्मकल्याण निमित्त आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के प्रथम दिवस आयोजित कथा में षष्ठाध्यायी कथा प्रसंग के दौरान कही । आचार्य श्री पांडेय ने सनद सनातन सनन्दन सनतकुमार एवं देवर्षि नारद वार्ता का श्रोताओं को प्रभावपूर्ण तरीके से बखान कर मंत्रमुग्ध कर दिया । आचार्य नूतन पांडेय ने श्रोताओं को श्रीमद्भागवत कथा अमृत गंगा का रसपान कराते हुए बताया कि नारद जी ने सनद सनातन सनन्दन सनतकुमार के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा अमृत गंगा का महत्व से भक्ति को अवगत कराया ।

श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के प्रभाव से भक्ति के पुत्र प्रेम एवं ज्ञान वृद्धावस्था से मुक्त होकर पुनः यौवनावस्था को प्राप्त कर लिया। उन्होंने गौकर्ण धुंधकारी कथा प्रसंग के दौरान भी श्रीमद्भागवत कथा अमृत गंगा के महत्व का श्रोताओं को श्रवण कराया। उन्होंने बताया कि अपने कुकर्मों की वजह से मृत्यु पर्यन्त भयानक प्रेत योनि में भूख प्यास से वंचित जंगलों में पीड़ा झेल रहे धुंधकारी को उनके भाई गौकर्ण ने श्रीमद्भागवत कथा अमृत गंगा का रसपान कराकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने श्रोताओं को धुंधकारी का अनुशरण कर एकाग्र और सत चित्त से श्रीमद्भागवत कथा अमृत गंगा का रसपान करने की बात कही। उन्होंने बताया कि भयानक प्रेत योनि में भटक रहे धुंधकारी ने अपने भाई गौकर्ण के मुख से सप्तगंठिका बांस में सातों दिन तक श्रीमद्भागवत कथा अमृत गंगा का श्रवण कर मनन कर चिंतन कर सातों जन्म के लिए मोक्ष प्राप्त कर लिया।

जय विजय की तरह जिन्हें लेने देवलोक से विमान आया। हम इंसानों को भी ऐसे ही एकाग्र सत चित्त से श्रीमद्भागवत कथा अमृत गंगा श्रवण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा निमित्त किया गया कोई भी प्रयत्न विफल नहीं जाता। उन्होंने श्रोताओं के 3 प्रकार बताए। पहले श्रोता होते हैं जो मन लगाकर सत चित्त से कथा श्रवण करते हैं। दूसरे सोता होते हैं जो कथा के दौरान किनारा ढूंढ कर सोते रहते हैं। तीसरे सरौता होते हैं जो सरोते की तरह आपके व्यवस्थाओं में कमियां ,खामियाँ ढूंढते हैं।हमें श्रोता बनना चाहिए। उन्होंने साले की सलाह पर कार्य करने वाले पुरुष श्रोताओं से कहा कि साले की सलाह से जीवनभर आंख मूंदकर कार्य करने का परिणाम महाभारत ही होता है। कथा के पूर्व माता कर्मा मंदिर प्रांगण से बड़ा शिव मंदिर तक गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा निकली । जिसमें महतो परिवार की बहू बेटियां एवं स्वजन शामिल हुए।

जानिए कब क्या होगा 👇

संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के द्वितीय दिवस 2 मई को कथा प्रसंग में शुकदेव जन्म ,परीक्षित जन्म ,हिरण्याक्ष वध 3 मई तृतीय दिवस के कथा प्रसंग में ऋषभ देव ,सती चरित्र एवं ध्रुव चरित्र की कथा होगी। चतुर्थ दिवस 4 मई को नरसिंह अवतार ,वामन अवतार ,रामवतार एवं कृष्ण जन्मोत्सव 5 मई को गोवर्धन पूजा ,छप्पन भोग ,एवं कृष्ण रुक्मणी विवाह संपन्न होगा। छठवें दिवस 6 मई को सुदामा चरित्र एवं 7 मई को सातवें दिवस परीक्षित मोक्ष,कथा समापन एवं चढ़ोत्तरी होगी। आठवें दिन गीता पाठ ,तुलसी वर्षा ,हवन ,कपिला तर्पण ,सहस्त्रधारा,ब्राम्हण भोज एवं प्रसाद वितरण के साथ पुनीत आयोजन का समापन होगा।

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