इन दिनों बदली लाइफस्टाइल और खानपान के कारण अधिकांश लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या हो रही है. इनमें भी अधिकतर लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है. शुरुआत में हाई ब्लड प्रेशर को सही किया जा सकता है, लेकिन समस्या गंभीर होने पर जीवनभर दवाएं खानी होती हैं. बहुत से लोग हाई ब्लड प्रेशर के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से परहेज करते हैं. ऐसे लोगों के लिए आयुर्वेद में भी कई दवाएं हैं जिनके जरिए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है. कौन सी हैं वे दवाएं और उन्हें कैसे लेना है. बता रहे हैं एक्सपर्ट.
ब्लड प्रेशर एक गंभीर समस्या है. इसके प्रति असावधानी बरतने पर हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर का भी खतरा रहता है. इतना ही नहीं हाई बीपी कई और गंभीर बीमारियों को भी शुरू कर देता है.
ओवरऑल हेल्थ पर पड़ता है हाई बीपी का असर
हाई ब्लड प्रेशर से शरीर के लगभग सभी ऑर्गन पर प्रभाव पड़ता है. दिल, किडनी, दिमाग, फेफड़े, लिवर पर तो इसका बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है. हाई बीपी से किडनी डैमेज होती हैं. इन दिनों तक यह समस्या 20 साल के युवाओं में भी देखने को मिल रही है. हाई बीपी होने पर तुरंत इलाज करना चाहिए. आयुर्वेद में ऐसी कई दवाएं हैं जो बीपी को नियंत्रित रखने में सहायक हो सकती हैं.
कौन सी आयुर्वेदिक दवा लें
क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. अशोक राना के अनुसार हाई बीपी में कई आयुर्वेदिक दवाएं बेहद कारगर हैं. इन दवाओं को किसी प्रैक्टिशनर की देखरेख में लिया जाना चाहिए. इनमें अर्जुन की छाल सबसे ज्यादा उपयोगी होती है. अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से रक्त में जमा कोलेस्ट्रॉल साफ हो जाता है, जिससे बीपी भी नियंत्रित होता है.
दालचीनी का पानी पीने या उसे चबाने से भी हाई बीपी में राहत मिलती है. यह हमारे रक्त को पतला करती है. अश्वगंधा से भी बीपी को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. इसे गर्म पानी के साथ पाउडर के रूप में या फिर काढ़ा बनाकर पिया जा सकता है. इनके अलावा सर्पगंधा जड़ी बूटी भी हाई बीपी में खासी सहायक साबित होती है. इसके अलावा रूद्राक्ष का पानी भी हाई बीपी में बहुत कारगर है. रुद्राक्ष को रात भर भिगोकर रखें और सुबह उस पानी को पी लें.
डॉक्टर की देखरेख में लें दवाएं
डॉ. अशोक राना कहते हैं कि आयुर्वेद में मरीज की वात, पित्त और कफ की स्थिति को देखकर इलाज किया जाता है. सभी मरीजों में यह समान नहीं होता है. इसलिए यदि किसी एक को कोई दवा बहुत असर कर रही है तो हो सकता है दूसरे को वह उतना असर न करे. इसलिए किसी बीमारी में आयुर्वेदिक दवा को डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. कुछ दवाएं सभी रोगियों पर समान कार्य करती हैं. डॉ. राना कहते हैं कि आयुर्वेदिक दवाएं केवल लक्षणों का इलाज नहीं करती बल्कि रोग को जड़ से खत्म करती हैं. इसके लिए डॉक्टर की देखरेख में दवा लेना जरूरी है.