कोरबा,20 अप्रैल (वेदांत समाचार)। जनहित और नियम कायदों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे अवैध कोयला साइडिंग को बंद कराने की मांग करते हुए शासन-प्रशासन को चेतावनी भरा पत्र सिर्फ चेतावनी तक सिमट कर रह गया है। चिट्ठी लिखे लगभग डेढ़ महीना होने को है लेकिन आज तक कोई भी कार्यवाही अथवा जांच-पड़ताल नहीं हो सकी है। क्या कोई अदृश्य शक्तियां इनके पीछे काम कर रही हैं?
छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व गृहमंत्री एवं वरिष्ठ आदिवासी नेता रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने ग्राम बरपाली-सरगबुंदिया में नागपुर की कंपनी संदेश ट्रेडिंग के द्वारा किए जा रहे अवैध कोयला साइडिंग/लोडिंग के कार्य को बंद कराने के लिए प्रशासन को पत्र लिखा है। मार्च माह में यह पत्र लिखा गया था और इसके बाद कार्रवाई ना होने पर ग्रामीणों के साथ आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।
ननकीराम कंवर द्वारा दिए जाने वाले पत्रों और चेतावनी को प्रशासन कभी भी हल्के में नहीं लेता लेकिन यह पहला मौका है जब श्री कंवर द्वारा लिखे गए पत्र पर कोई भी एक्शन आज पर्यंत नहीं लिया जा सका है। ननकीराम कंवर के पीछे-पीछे बरपाली क्षेत्र की कांग्रेस नेत्री एवं करतला जनपद की पूर्व उपाध्यक्ष व सांसद प्रतिनिधि श्रीमती धनेश्वरी कंवर ने भी प्रशासन को पत्र लिखा और उक्त साइडिंग के कारण हो रही स्वास्थ्यगत परेशानियों, ग्रामीणों की दिक्कतों तथा अवैधानिक कामकाज के दृष्टिगत इसे बंद कराने की मांग की है।
रद्दी की टोकरी में डाला
भाजपा और कांग्रेस के दो नेताओं के द्वारा किए जा रहे प्रयासों व दी गई चेतावनी को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है। कोयला एडजस्टमेंट की आड़ में ओवरलोड कोयला को मालगाड़ी से गिरवा कर पहले रात में ट्रकों के जरिए परिवहन कराया जाता रहा लेकिन शिकवा-शिकायत शुरू होने के बाद मनोबल और बढ़ गया है। कानून-कायदों को दरकिनार कर रेलवे की जमीन पर अवैध कोल साइडिंग को जारी रखते हुए अब दिन में भी यहां से कोयल परिवहन सड़क मार्ग से कराया जाने लगा है। जिन रास्तों से होकर यह कोयला वाहन गुजरते हैं, वह गांव की सड़क है और इस रास्ते में दो बैंक तथा दो निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं। एक स्कूल तो पूर्व सांसद स्वर्गीय बंशीलाल महतो के परिजन की स्मृति में संचालित है, बैंक व स्कूल के कारण मार्ग पर भीड़-भाड़ बनी रहती है और हादसे का खतरा हर समय रहता है। अवैध कोल साइडिंग से निकलने वाला कोयला अवैध कोल डिपो में खपाया जा रहा है।
आखिर संज्ञान क्यों नहीं ले रहे?
यह आश्चर्य की ही बात है कि लगातार विरोध और एक बार तो कोयला परिवहन वाहनों को रोककर विरोध दर्ज कराने के बाद भी शासन-प्रशासन इस पर संज्ञान नहीं ले रहा। पर्यावरण प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी, कोयला खनिज के मामले में खनिज विभाग की यहां दस्तक तक नहीं हो सकी है। रेलवे के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि यहां उनकी कोई साइडिंग संचालित नहीं हो रही है लेकिन रेलवे की जमीन पर अवैधानिक कार्य किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि उक्त निजी कंपनी के कुछ स्थानीय कर्ताओं के द्वारा ग्रामीणों में दहशत के साथ-साथ कुछ दलालों के माध्यम से सेटिंग का खेल खेला गया है।
गांव की सरपंच महिला होने के कारण और सचिव के दिव्यांग होने के साथ-साथ फिलहाल हड़ताल पर रहने के कारण व ग्रामीणों में आपसी फूट डालकर अपनी रोटी सेंकने की प्रवृत्ति के कारण विरोध जोर नहीं पकड़ पा रहा है। ग्रामीणों की ओर से स्वयं विधायक ननकीराम कंवर, कांग्रेस नेत्री धनेश्वरी कंवर के द्वारा भी इस विरोध को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है। कड़ा पत्र लिखने के बाद भी कोई एक्शन नहीं होने तथा इन दोनों जनप्रतिनिधियों के शांत बैठ जाने को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं। क्या ये सभी कम्पनी और दलालों के प्रभाव/दबाव में आ गए हैं?
क्या ननकीराम बनाए जाते हैं मोहरा ?
वरिष्ठ आदिवासी नेता रामपुर के विधायक ननकीराम कंवर काफी सीधे, सरल और सहज सुलभ हैं। कई ऐसे मौके आए हैं जब उनसे चिट्ठी पत्र लिखवा कर कई लोगों ने अपना काम निकाला है। काफी सरल होने के कारण उन्हें सही और गलत का तात्कालिक आभास नहीं हो पाता और अपना काम निकालने की मंशा रखने वाले लोग उनसे चिट्ठी लिखवा कर काम बना लेते हैं। कोल साइडिंग के मामले में भी कुछ ऐसा ही कयास लगाया जा रहा है कि अपना मकसद पूरा करने श्री कंवर के जरिए विरोध पत्र लिखवाया गया और जिस किसी ने भी ऐसा कृत्य किया है उसका उद्देश्य पूरा होने के बाद श्री कंवर को अब दरकिनार कर दिया गया है।
श्री कंवर तो सीधे, सरल और सहज हैं लेकिन क्या कांग्रेस नेत्री के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है? कांग्रेस और भाजपा अवैध को साइडिंग के मामले में लगभग एक मंच पर हैं लेकिन इसके बाद भी कोयला साइडिंग का संचालित होना और यहां प्रशासन के कदम नहीं पड़ना अनेक सवालों और संदेहों को जन्म दे रहा है। वहीं दलालनुमा लोग भी इस विरोध पर कहीं ना कहीं हावी हो रहे हैं। ऐसे में शासन और प्रशासन के प्रति उन लोगों में गलत भावनाएं उत्पन्न हो रही हैं जो इस अवैध कोल साइडिंग से परेशान हैं, पीड़ित हैं और इसे बंद कराना चाहते हैं लेकिन अनेक अनेक कारणों से खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं लेकिन अपने सक्षम जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासनिक अधिकारियों का मुंह ताक रहे हैं।
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