KORBA : कृष्णा नगर वासियों का हड़ताल छठवें दिन भी जारी, रेलवे प्रबंधन बस्ती वासियों की मांगों को मान ले नहीं तो होगा जन आंदोलन

कोरबा/गेवरा दीपका, 20 अप्रैल (वेदांत समाचार)। औद्योगिक नगरी नगर पालिका परिषद क्षेत्र एवं एसईसीएल गेवरा के बीच बसी बस्ती कृष्णा नगर वासियों के समक्ष इन दिनों एक नई समस्या आन पड़ी है और बस्तीवासी रेल कॉरीडोर प्रबंधन के हठधर्मिता रवैया से इनका जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है, और बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर इनको अपने जीविकोपार्जन करने में भी कठिनाई उत्पन्न हो रही है।


बता दे आज कृष्णा नगर बस्ती वासियों का यह हड़ताल छठवें दिन भी जारी है और बस्ती वासी पूरे परिवार सहित कड़कड़ाती धूप में भी तंबू लगाकर बैठने को मजबूर हैं और रेलवे प्रबंधन एवं प्रशासन के द्वाराअभी तक इनकी जायज मांगों के लिए किसी प्रकार की पहल नहीं कर रही है।

रेल कॉरीडोर प्रबंधन के दवारा कोयले के ट्रांसपोर्टिंग को लेकर बस्ती वासियों के बीच मतभेद पैदा करते हुए कुछ परिवारों को मुआवजा प्रदान कर चुकी है लेकिन बस्ती वासियों का कहना है कि बस्ती के बीचों बीच रेल लाइन गुजरने से पूरा कृष्णा नगर बस्ती प्रभावित हो रहा है इसलिए हमारी मांग है कि रेलवे प्रबंधनपूरे बस्ती वासियों की जमीन को अधिग्रहीत कर हमें मुआवजा और बसाहट प्रदान किया जाए यदि रेलवे प्रबंधन हमारी जायज मांगों को नहीं मानती है तो यह आंदोलन बहुत जल्द जन आंदोलन के रूप में तब्दील हो जाएगा इसके लिए बस्ती वासियों ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन मांगा है।

रेल प्रबंधन बस्ती वासियों की मांगों को पूरा करें या जन आंदोलन के लिए तैयार रहे – दुबे


कृष्णा नगर वासियों के आंदोलन स्थल पर पहुंचे पूर्व खाद्य आयोग अध्यक्ष एवं भाजपा नेता ज्योति नंद दुबे ने बस्ती वासियों के जायज मांगों का समर्थन करते हुए धरना स्थल पर बैठ गए और पूरे बस्ती वासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि यदि रेलवे कॉरिडोर प्रबंधन कोयले की आपूर्तिकरने के लिए आधी बस्ती को मुआवजा प्रदान कर दिया गया है जबकि इसकी चपेट में पूरा बस्ती आएगा रेलवे कॉरिडोर प्रबंधन के द्वारा जितनी राशि खर्च कर बस्ती के चारों ओर रेल लाइन बिछाई जा रही है। इससे कम खर्च मैं मुआवजा प्रदान कर ट्रांसपोर्टिंग के परिचालन को आसानी से कर सकती है. इसके बावजूद यदि रेलवे कॉरिडोर प्रबंधनबस्ती वासियों की समस्या का निदान नहीं करती है तो बहुत जल्द ही बस्ती वासियों के साथ मिलकर रेलवे प्रबंधन के खिलाफ जन आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे इस जन आंदोलन से निपटने के लिए शासन और रेलवे प्रबंधन को तैयार रहना होगा।

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