कीमोथेरेपी के दौरान बालों के झड़ने को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई स्कैल्प कूलिंग तकनीक है. पहले यह केवल अमेरिका में एमडी एंडरसन जैसे चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय कैंसर केंद्रों में उपलब्ध थी, लेकिन अब यह भारतीय रोगियों के लिए भी उपलब्ध है, जो सहायक कैंसर देखभाल में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है. कैंसर रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में नई दिल्ली के एक अस्पताल ने कोल्ड कैपिंग थेरेपी शुरू की है.
बालों का झड़ना लंबे समय से कीमोथेरेपी के सबसे अधिक दिखाई देने वाले और परेशान करने वाले दुष्प्रभावों में से एक रहा है,जो अक्सर रोगी के आत्मविश्वास को प्रभावित करता है. कोल्ड कैपिंग थेरेपी रोगियों को उपचार के दौरान अपने बालों को बनाए रखने में मदद करके एक समाधान प्रदान करती है, जिससे कैंसर के निदान के साथ आने वाले मनोवैज्ञानिक बोझ को कम किया जा सकता है.
70% तक बाल झड़ने की समस्या कम
इस थेरेपी में कीमोथेरेपी सत्रों से पहले, उसके दौरान और बाद में 64 से 72 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच ठंडा किया गया एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया. सिलिकॉन कैप पहनना शामिल है. यह सर में रक्त के प्रवाह को कम करती है, जिससे बालों के रोमों पर कीमोथेरेपी दवाओं का प्रभाव कम होता है और इस प्रकार बालों के झड़ने की मात्रा कम होती है. स्टडीज बताते हैं कि यह कई रोगियों के लिए बालों के झड़ने को 70% तक कम करता है.
नई दिल्ली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. आशीष गुप्ता ने कहा, नई स्कैल्प कूलिंग तकनीक लागत प्रभावी, सरल और गैर-इनवेसिव विधि है और इसे विभिन्न प्रकार की कीमोथेरेपी के लिए सुझाया जा सकता है. कीमोथेरेपी से बालों का झड़ना सिर्फ कॉस्मेटिक नहीं है. यह रोगी की पहचान और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है.
कैंसर देखभाल की दिशा में एक बड़ा कदम
यह सफलता न केवल नैदानिक राहत लाती है, बल्कि भावनात्मक उपचार भी करती है. यह कैंसर देखभाल की दिशा में एक बड़ा कदम है. अमेरिका और यूरोप में 6,000 से अधिक केंद्र अपने उपचार के हिस्से के रूप में स्कैल्प कूलिंग का उपयोग करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि कई केंद्रों के परीक्षणों से पता चला है कि स्कैल्प कूलिंग के उपयोग से 70% तक बालों के झड़ने को रोका जा सकता है.”
कोल्ड कैपिंग बेहतर विकल्प
हालांकि, रक्त कैंसर, सिर और गर्दन के कैंसर या ठंड के प्रति संवेदनशीलता को प्रभावित करने वाली स्थितियों वाले लोगों के लिए इसकी एडवाइस नहीं की जाती है. मरीजों का व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन किया जाता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उनके लिए कोल्ड कैपिंग सही विकल्प है या नहीं, जिससे सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके.
डॉ. आशीष गुप्ता ने आगे कहा कि यह तकनीक कीमोथेरेपी के दौरान सिर में रक्त के प्रवाह को कम करके काम करती है, जिससे बालों के रोम पर प्रभाव कम से कम होता है. हालांकि, हर मरीज इसके लिए योग्य नहीं हो सकता है, लेकिन यह कई लोगों के लिए लगभग 70% तक बाल के झड़ने को रोकता है. कोल्ड कैपिंग थेरेपी से अब मरीजों के पास एक ऐसे समाधान तक पहुंच है जो न केवल उनके बालों को सुरक्षित रख सकता है. यह उनके जीवन के सबसे कठिन दौर में आशा, आत्मविश्वास और आत्म-अनुभूति को बनाए रखने में मदद कर सकता है.