छत्तीसगढ़ की वैभवशाली संस्कृति की है विशिष्ट पहचान : मुख्यमंत्री श्री बघेल

108 पोथी श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में शामिल हुए मुख्यमंत्री

राज्य में सांस्कृतिक विरासत को सहेजने राम वन गमन पर्यटन परिपथ तथा ‘कृष्ण कुंज’ के निर्माण सहित हो रहे अनेक कार्य

रायपुर, 11 अप्रैल / मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर स्थित सरदार बलबीर सिंह जुनेजा इण्डोर स्टेडियम में अयोजित 108 पोथी श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में शामिल हुए और पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। उन्होंने कथास्थल में व्यासपीठ पर विराजमान पूज्य भाई श्री रमेशभाई ओझा जी को शाल और श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल इस दौरान दर्शकदीर्घा में बैठकर कथा का श्रवण भी किया। 



मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा से ज्ञान, भक्ति और कर्म की शिक्षा के साथ असीम आनंद की अनुभूति होती है, जो हमारे जीवन को संवारने में अहम् होता है। उन्होंने राजधानी में 9 अप्रैल से 15 अप्रैल तक श्री गुजराती समाज, रायपुर द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के आयोजन के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया। 



मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर आगे कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों से समृद्ध है, जो इसके वैभवशाली संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में ‘आरंग’ एक ऐसी जगह है, जहां भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम दोनों ही पधारे थे। हमारी सरकार द्वारा राज्य के ऐसे सभी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की दिशा में निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। इस कड़ी में राम वन गमन पर्यटन परिपथ का भी निर्माण किया जा रहा है। जिसमें भगवान राम के प्रति स्थानीय लोगों की भावनाओं और सांस्कृतिक विरासत को सहेजा जा रहा है। इसके तहत राज्य में हर उस जगह को चिन्हित किया गया है, जहां से वनवास के दौरान भगवान राम गुजरे थे। 



मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस दौरान राज्य में विकसित हो रहे ‘कृष्ण कुंज’ के बारे में भी अवगत कराया। इसके तहत समस्त नगरीय निकायों को चिन्हाकित किया गया है। जिसमें धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के वृक्षों का रोपण शहरों की हरियाली में वृद्धि और स्वच्छ वातावरण के लिए किया जा रहा है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, महापौर श्री एजाज ढेबर, गुजराती समाज के लोग तथा श्रद्धालुगण उपस्थित थे।

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