Vedant Samachar

RAIPUR:महानदी के उद्गम से जनजागरण और जलसंरक्षण की नई शुरुआत

Vedant Samachar
4 Min Read

रायपुर ,03 मई 2025(वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी अब केवल एक नदी नहीं, बल्कि जनभागीदारी, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक जागरण की मिसाल बनती जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की प्रेरणा से मोर गांव मोर पानी की अवधारणा को साकार करने हेतु शुरू किए गए मॉं अभियान की पहली कड़ी 2 मई को धमतरी जिले के नगरी-सिहावा क्षेत्र में देखी गई, जब लगभग दो हजार लोगों ने सामूहिक श्रमदान से नदी सफाई की ऐतिहासिक शुरुआत की।

महानदी के उद्गम स्थल सिहावा के फरसियां गांव से लेकर गणेश घाट तक फैले लगभग 14 किलोमीटर लंबे नदी क्षेत्र की सफाई कर स्थानीय लोगों ने यह दिखा दिया कि जलसंरक्षण केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि सामूहिक संकल्प है। अभियान की शुरुआत फरसियां स्थित मां महामाई मंदिर में विधिवत पूजा और महानदी आरती के साथ हुई। इस दौरान मॉं अभियान के उद्देश्य, भाव और विस्तार की जानकारी वीडियो प्रस्तुति के माध्यम से दी गई।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा प्रस्तावित मोर गांव मोर पानी अभियान जल संकट से निपटने की दूरदर्शी पहल है। महानदी उद्गम क्षेत्र को पर्यटन के साथ जलसंरक्षण की दृष्टि से विकसित करना इसी सोच का हिस्सा है। यह प्रयास न केवल जलस्तर बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि रोजगार, सांस्कृतिक पर्यटन और ग्रामीण विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।

अभियान में जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सार्वा, विधायक अंबिका मरकाम, जनपद उपाध्यक्ष हृदय साहू समेत स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जिला कलेक्टर अबिनाश मिश्रा और पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार ने प्रशासनिक नेतृत्व के साथ जनभागीदारी को सराहा और इस पुनीत कार्य को दीर्घकालीन परियोजना के रूप में बताया।

महानदी की महिमा पर कविता पाठ, आरती, जलकलश यात्रा और शपथ कार्यक्रमों के माध्यम से इस अभियान को धार्मिक-सांस्कृतिक चेतना से जोड़ा गया। गणेश घाट से कर्णेश्वर महादेव मंदिर तक महिलाओं द्वारा निकाली गई जलयात्रा ने इस अभियान को आध्यात्मिक भाव से भी जोड़ दिया।

जिला प्रशासन द्वारा महानदी उद्गम स्थल के सर्वांगीण विकास की योजना तैयार की गई है। इसमें एनीकट निर्माण, घाट सौंदर्यीकरण, पीचिंग कार्य, वृक्षारोपण, मंदिर परिसर में पेयजल, चित्रकारी, सड़क विकास, ओवरहेड टैंक, साइनबोर्ड जैसी सुविधाएं शामिल हैं। साथ ही धार्मिक स्थलों पर कर्मकांडों के लिए समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

एसपी श्री परिहार के शब्दों में, नदियां हमारी मां हैं और इन्हें बचाने की जिम्मेदारी अब हमारी है। यह भावना ही इस अभियान की आत्मा है। छत्तीसगढ़ की महानदी अब केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चेतना, सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर उभर रही है।

मां अभियान एक नदी को बचाने का प्रयास भर नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को जल, जीवन और विरासत सौंपने की प्रतिबद्धता है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सोच, प्रशासन की तत्परता और जनसहयोग की भावना से यह पहल एक आंदोलन का रूप ले रही है जो छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश के लिए अनुकरणीय बन सकती है।

Share This Article