NTPC के लेटरहेड पर जुबेरी ने दिया फर्जी आवेदन

रायगढ़ ,02 मार्च  खनिज विभाग में रॉयल्टी क्लीयरेंस के नाम पर ठेकेदारों से अवैध वसूली का रैकेट चलाया जा रहा है। कोई दस्तावेज कम हों तो प्राइस बढ़ जाती है। फाईल बनाने और बढ़ाने के नाम पर ही वसूली हो जाती है। जुबेरी इंजीनियरिंग ने तो हद कर दी। एनटीपीसी के लेटरहेड का इस्तेमाल खनिज विभाग में किया जिसमें फर्जी साइन तक कर दिए गए हैं। एनटीपीसी लारा में अवैध खनिजों को खपाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। कई सालों से जुबेर इंजीनियरिंग जैसी ठेका कंपनियां बिना रॉयल्टी पर्ची के ही रेत और गिट्टी का परिवहन कराती हैं।

इसके बाद जब बिल भुगतान का समय आता है तो खनिज विभाग में सेटिंग कर रॉयल्टी क्लीयरेंस करा लिया जाता है। सरकार ने क्लीयरेंस के लिए बाजार मूल्य की तीन गुना राशि वसूले जाने का आदेश दिया था लेकिन खनिज विभाग खुद ही इसका उल्लंघन कर रहा है। जुबेरी इंजीनियरिंग के मामले में जिस तरह का काम किया गया, उससे विभाग में चल रहे सुनियोजित भ्रष्टाचार की परतें खुल गई हैं।

जुबेरी की फाइल पांच सालों तक सामने आई ही नहीं। दो महीने पहले अचानक से आवेदन किया गया और क्लीयरेंस देने खनिज निरीक्षक ने फाइल बढ़ा दी। बताया जा रहा है कि इसके लिए करीब तीन लाख रुपए की डील भी हुई है। सूत्रों के मुताबिक रॉयल्टी क्लीयरेंस में प्रति टन एक रेट तय किया गया है। आला अधिकारियों का नाम लेकर ठेकेदारों से वसूली की जाती है। 2019 में जुबेरी का काम खत्म हुआ, लेकिन क्लीयरेंस का आवेदन 2023 में किया गया। इस आवेदन पर भी संदेह होता है क्योंकि पहले 2019 की डेट पर आवेदन किया गया और बाद में बदलकर 2022 कर दिया गया।

यह भी पढ़े :-Raigarh News : खाना पका रही थी महिला, आग लगने से मौत

जुबेरी को एनटीपीसी दे रहा बढ़ावा

जिले में रेत-गिट्टी के अवैध खनन व परिवहन का काम एनटीपीसी लारा के कारण बढ़ा। जुबेरी इंजीनियरिंग ने भी ऐसे ही बिना रॉयल्टी के चोरी के खनिजों से एनटीपीसी का काम किया। कंपनी ने भी जुबेरी का बचाव किया। सूत्रों के मुताबिक जुबेरी इंजीनियरिंग का लिंक एनटीपीसी के एक आला अधिकारी से है। बिल पास करने के एवज में कमीशनखोरी का भी सिस्टम एनटीपीसी में चल रहा है। अवैध खनिजों का क्लीयरेंस लेकर अब फिर से भुगतान पाने का रास्ता निकाला जा रहा है।

बैक डेट में बनाया आवेदन

मिली जानकारी के मुताबिक जुबेरी इंजीनियरिंग की ओर से यूसुफ नामक व्यक्ति ने पहले एनटीपीसी के लेटरहेड पर 2019 की डेट पर आवेदन किया। इसके बाद उसने आवेदन बदल दिया और 2022 की तारीख पर आवेदन डाल दिया। इसमें एनटीपीसी के एक अधिकारी के साइन थे। मतलब फर्जी तरीके से एनटीपीसी के लेटरहेड का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसमें एनटीपीसी के एक अधिकारी ने बैक डेट में साइन भी किए हैं। वह अधिकारी वर्तमान में लारा प्लांट में पदस्थ है ही नहीं।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]