रायगढ़ ,24 फरवरी । उपभोक्ता फोरम में नए मेंबर के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। बिलासपुर में इसके लिए साक्षात्कार का पहला दौर पूरा हो गया है। अब विधि विभाग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद रायगढ़ जिले में नए मेंबर नियुक्त किए जाएंगे, जिसके बाद ही उपभोक्ता फोरम में मामलों की सुनवाई शुरू हो सकेगी। रायगढ़ उपभोक्ता फोरम में कामकाज बीते 4 महीनों से बंद पड़ा है। कारण यह है कि फोरम में सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद शासन ने नए सदस्य नियुक्त नहीं किए हैं।
जिससे यहां फरियादी जो उम्मीद लेकर आ रहे हैं वो पूरा नहीं हो पा रहा है। पूर्व में यहां दो सदस्य विदुला तामस्कर व शिशिर वर्मा थे। सितंबर माह में विदुला तामस्कर का कार्यकाल समाप्त हो गया। वहीं नवंबर माह में शिविर वर्मा का भी कार्यकाल समाप्त हो गया। जिससे अब यहां मेंबर की कुर्सी पूरी तरह खाली है।
ऐसे में किसी भी केस की सुनवाई तो दूर नए केस का रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो पा रहा है, क्योंकि किसी भी केस में केवल अध्यक्ष अकेले ही प्रोसेडिंग नहीं कर सकता। कम से कम एक अध्यक्ष और एक सदस्य का होना जरूरी है तब जाकर प्रोसेडिंग संभव हो पाता है। यही कारण है कि करीब 5 साल के केस में भी सुनवाई नहीं हो पाने से 800 से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। जिसमें बीमा कंपनी, सहारा, फसल बीमा जैसे केस शामिल हैं। इधर सालों से फरियादी कोर्ट के आर्डर का इंतजार कर रहे हैं। हालात यह हो गए हैं कि वर्तमान में कोई नया केस लेकर भी उपभोक्ता फोरम आ रहा है तो उसका केस रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। क्योंकि बिना मेंबर के केस रजिस्ट्रेशन संभव ही नहीं है। ऐसे में फरियादी वापस लौट जा रहे हैं।
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टकटकी लगा रहे सहारा के उपभोक्ता: जिले में उपभोक्ता फोरम के फैसले से सबसे ज्यादा सहारा में लुट चुके निवेशक आश्रित हैं। जिले के हजारों लोग इस कंपनी में रुपए जमा कर अपना अरबों रुपए गंवा चुके हैं। इनमें ज्यादातर मामले तो सहारा के ही हैं। ऐसी स्थिति में और लेटलतीफी उनके लिए गले की फांस बन गया है लेकिन अब नए सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई तो निवेशकों में भी फोरम में कामकाज शुरू होने की उम्मीद बंधी है।
अध्यक्ष पर चार जिलों का है जिम्मा: उपभोक्ता अध्यक्ष छमेश्वर लाल पटेल रायगढ़ के साथ-साथ जांजगीर, कोरबा व जशपुर जिला भी देख रहे हैं। इस वजह से रायगढ़ जिले के हिस्से में सुनवाई के लिए करीब 4 से 5 दिन ही मिल रहे थे। यही कारण है कि बीते कुछ समय से उपभोक्ता फोरम में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती गई और अब सदस्यों के नहीं होने से नए केस भी रजिस्टर्ड नहीं हो पा रहे हैं।
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