कोरबा, 15 फरवरी (वेदांत समाचार)। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट हैं। पीएम केयर फंड से लाखाें रुपए खर्च कर एक प्लांट लगाया गया है। प्लांट चालू है मगर स्वास्थ्य विभाग के पास इतनी फुर्सत नहीं है कि वह प्लांट से मेडिकल कॉलेज अस्पताल तक पाइप लाइन बिछा सके। स्वास्थ्य विभाग चाहे तो इस ऑक्सीजन प्लांट में एक रिफिलिंग यूनिट भी खनिज न्यास मद या प्रदेश सरकार के सहयोग से लगा सकता है लेकिन प्रबंधन की ओर से हर माह औसतन 450 से 500 सिलेंडर में ऑक्सीजन गैस खरीद कर स्वास्थ्य केंद्रों को दी जा रही है।
बताया जाता है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट हैं। एक प्लांट पहले से ही मौजूद था। कोरोना महामारी के दौरान पीएम केयर फंड से दूसरा प्लांट भी लगाया गया। राज्य सरकार के सहयोग से स्थापित प्लांट के जरिए अस्पताल के एसएनसीयू व आईसीयू वार्ड में आपूर्ति की जाती है।
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दूसरा प्लांट पीएम केयर फंड से निर्माण किया गया है, लेकिन सभी वार्डाें में पाइप लाइन नहीं बिछाई गई है और न ही कनेक्शन दिया गया है। जबकि अस्पताल में मरीजों की संख्या ढाई से तीन गुनी हो गई है। हर दिन सड़क दुर्घटना सहित अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं। इन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है। इस कारण प्रबंधन दोनों प्लांट को पूरी क्षमता से नहीं चला पा रही है। दो प्लांट होने के बाद भी प्रबंधन की ओर से बाहर से ऑक्सीजन गैस की जंबो सिलेंडर की मदद ली जाती है।
इसके लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है। विभिन्न वार्डो में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन गैस की आपूर्ति के लिए रोजाना लगभग 20 से 25 जंबो सिलेंडर की खरीदी की जा रही है। इसके अलावा मरीजों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने सहित अन्य कार्यो के लिए छोटी सिलेंडर की भी उपयोग होता है। प्रबंधन का दावा है कि दोनों ही प्लांट पूरी क्षमता के साथ चलाई जा रही है।
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जहां जरूरी, वहां कनेक्शन नहीं
अस्पताल में कई ऐसे वार्ड हैं, जहां प्लांट से सीधे वार्ड में ऑक्सीजन गैस आपूर्ति की जरूरत है, लेकिन यहां पर आपूर्ति करने के बजाए सिलेंडर से ही काम चलाया जा रहा है। इसमें अस्पताल की डायलिसिस यूनिट, आइसोलेशन, आपातकालीन वार्ड सहित अन्य वार्ड शामिल हैं। डायलिसिसि यूनिट में आठ बिस्तर लगाए गए हैं। यहां 24 घंटे सभी बिस्तर फुल रहती है। जबकि कई मरीजों को आईसीयू से डायलिसिस के लिए यूनिट वार्ड में लाया जाता है। इस दौरान ऑक्सीजन गैस सपोर्ट के लिए सिलेंडर का उपयोग किया जाता है। लेकिन इसे बाजारू सिलेंडर से दिया जा रहा है।
सिलेंडर रीफिल की भी व्यवस्था नहीं
करोड़ों रुपए के पीएम केयर से ऑक्सीजन गैस प्लांट तैयार किए गए हैं, लेकिन न तो जहां जरूरी है। उन वार्डों तक भी पाईप लाइन नहीं बिछाई गई है और न ही खाली सिलेंडर को रिफिल करने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं है। इस अव्यवस्था की वजह से लोग अब प्रबंधन पर सवाल उठाने लगे है।
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ट्रामा में भी ऑक्सीजन की आपूर्ति सिलेंडर से
अस्पताल प्रबंधन को ट्रामा सेंटर का भवन मिले हुए लगभग छह माह बित गए हैं। लंबे समय बाद यहां मेडिसिन वार्ड शुरू किया गया, लेकिन यहां भी तैयारी अधूरी है। यहां भी वार्ड में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आठ बाइ आठ गैस सिलेंडर का सेटअप है, लेकिन प्लांट से कनेक्शन नहीं है।
अस्पताल के दोनों ऑक्सीजन प्लांट पूरी क्षमता के साथ चल रही है। जिन वार्डो में ऑक्सीजन गैस की सप्लाई नहीं हैं। वहां मरीजों को जंबो सिलेंडर से ऑक्सीजन की आपूर्ति कराई जाती है। -अविनाश मेश्राम, डीन
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