आज डिमेंशिया जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ज्यादा फैट और शुगर वाले चीजें खाने से याददाश्त कमजोर होती हैं. यह बात एक नई रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासा हुआ है.वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादा फैट और शुगर से भरपूर खाना न केवल हमारे वजन और दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि हमारे दिमाग पर भी बुरा असर डालता है. खासतौर पर दिमाग के उस हिस्से पर जो याददाश्त और रास्ता पहचानने की क्षमता से जुड़ा होता है.
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के डॉ. डोमिनिक ट्रान द्वारा की गई इस रिसर्च में 18 से 38 साल के हजारों छात्रों को शामिल किया गया. छात्रों से उनके खाने-पीने की आदतों के बारे में पूछा गया और फिर उन्हें एक वर्चुअल रियलिटी गेम में हिस्सा लेने को कहा गया, जिसमें उन्हें एक भूलभुलैया में रास्ता ढूंढकर खजाना खोजना था. इस दौरान उनके बॉडी मास इंडेक्स (BMI) का भी रिकॉर्ड रखा गया.
कम फैट और शुगर वालों में याददाश्त मजबूत
रिसर्च के नतीजों ने साफ दिखाया कि जो छात्र कम फैट और शुगर खाते थे, वे खजाना ढूंढने में ज्यादा सही दिशा में पहुंचे. जबकि जो लोग हफ्ते में कई बार ज्यादा फैट और शुगर खाते थे, उनकी परफॉर्मेंस कमजोर रही. इससे वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि हाई-फैट और हाई-शुगर डाइट हिप्पोकैम्पस को नुकसान पहुंचा सकती है. गौर करने वाली बात यह भी है कि हिप्पोकैम्पस वही हिस्सा है, जो अल्जाइमर जैसी बीमारियों में सबसे पहले प्रभावित होता है.
डॉ. ट्रान का कहना है कि अब तक हम जानते थे कि ज्यादा फैट और शुगर खाना मोटापा, हार्ट प्रॉब्लम्स और कुछ कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. लेकिन अब यह भी साफ हो गया है कि यह दिमाग की सेहत को भी जल्दी खराब कर सकता है और वह भी जवान उम्र में, जब आमतौर पर दिमाग पूरी तरह से फिट रहता है.
डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है
यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक और बड़ी स्टडी ने भी 40,000 लोगों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण कर यह पाया कि डायबिटीज, प्रदूषण और शराब जैसी चीजें भी दिमाग पर गहरा असर डालती हैं और डिमेंशिया के खतरे को बढ़ाती हैं.
हालांकि अच्छी खबर यह है कि डॉ. ट्रान के मुताबिक अगर हम समय पर अपनी डाइट में बदलाव कर लें तो हिप्पोकैम्पस की सेहत में सुधार संभव है. यानी अगर आप अभी से हेल्दी खाना शुरू करें तो अपनी याददाश्त और सोचने-समझने की शक्ति को काफी हद तक बचा सकते हैं.
डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण क्या हो सकते हैं?
ध्यान लगाने में दिक्कत
रोजमर्रा के छोटे-छोटे कामों में उलझन
बातें याद रखने में परेशानी
बातचीत करते समय शब्द भूल जाना
समय और जगह को लेकर भ्रम होना
मूड में अचानक बदलाव आना