Vedant Samachar

महिलाओं में बच्चेदानी में गांठ क्या कैंसर भी हो सकती है?

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कुछ महिलाओं में अक्सर बच्चेदानी में गांठ की शिकायत होती है. कुछ समय पहले तक यह समस्या बढ़ती उम्र की महिलाओं को होती थी, लेकिन बदलते लाइफस्टाइल के कारण अब यह समस्या कम उम्र में भी सामने आने लगी है. लाइफस्टाइल बदलने से कुछ बीमारियां सामान्य हो गई हैं. इनमें डायबिटीज, हाई बीपी और पीसीओएस यानी महिलाओं की बच्चेदानी में गांठ होने को भी शामिल किया गया है. महिलाओं की बच्चेदानी में गांठ यूट्रसफाइब्रॉएड में कई तरह की समस्याएं होती हैं. इसमें महिलाओं को बार-बार यूरिन आना, पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होना और पीरियड्स ज्यादा समय तक चलना शामिल हैं. इसके अलावा पेट के निचले हिस्से में दर्द होना और कुछ अन्य लक्षण भी महसूस हो सकते हैं.

यूट्रस फाइब्रॉएड बच्चेदानी में गांठ होने पर उभरने वाले लक्षणों को पहचान कर तुरंत उपचार करवाना चाहिए. अक्सर यह समस्या पीरियड्स के पहले महसूस होती है. हर मरीज में इस गांठ का साइज अलग-अलग हो सकता है. बच्चेदानी में गांठ बनने का सटीक कारण फिलहाल पता नहीं चल सका है. हालांकि माना जाता है कि हार्मोनल बदलाव एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, इनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

ये गांठ कैंसर होती हैं ?
मैक्स अस्पताल में ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉ रोहित कपूर बताते हैं कि बच्चेदानी में बनने वाली हर गांठ कैंसर नहीं होती. हालांकि कुछ मामलों में यह कैंसर का रूप ले सकती हैं. ये गांठ गैर कैंसर युक्त होती हैं और इनमें वृद्धि होती रहती है. कई मामलों में ये गांठ गंभीर लक्षण भी उत्पन्न कर सकती हैं. इन गांठ से निदान के लिए इलाज की जरूरत होती है. गांठ का इलाज उसकी स्थिति, साइज और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है.

क्या है इलाज
फाइब्रॉएड का इलाज सामान्य तौर पर दवाओं से हो जाता है. कुछ मामलों में सर्जरी भी करनी पड़ सकती है. यदि आपको गंभीर लक्षण महसूस हो रहे हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें. डॉक्टर आपको दवाएं देगें जो इन गांठों को कम कर सकती हैं. इसके अलावा यूटेराइन आर्टरी एम्बोलिजेशन के जरिए भी इन गाठों के खत्म किया जा सकता है. इनमें एम्बोलिकएजेंट को धमनियों में इंजेक्ट किया जाता है. ये एजेंट पाइब्रॉएड में रक्त प्रवाह को रोक देते हैं जिससे वह सिकुड़कर खत्म हो जाती हैं.

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