सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध के दायरे में लाने की याचिकाओं पर बड़ा कदम उठाया है। वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध के दायरे में लाया जाए या नहीं, इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट 14 मार्च से इस मामले पर अंतिम सुनवाई करेगा।
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सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले का बड़ा असर होगा। हमने कुछ महीने पहले सभी हितधारकों से विचार मांगे थे। हम इस मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष 3 मार्च तक लिखित दलीलें दाखिल करें।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने वैवाहिक दुष्कर्म के अपराधीकरण को लेकर बंटा हुआ फैसला सुनाया था। बेंच में से एक जज ने अपने फैसले में वैवाहिक दुष्कर्म को जहां अपराध माना था वहीं दूसरे जज ने इसे अपराध नहीं माना था। सुनवाई के दौरान खंडपीठ की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने वैवाहिक दुष्कर्म अपवाद को रद करने का समर्थन किया, वहीं न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने कहा कि आईपीसी के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है।
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