बैकुण्ठपुर ,16 दिसम्बर । मेहनत करके किसी भी परिस्थिति में अच्छा जीवन गुजारा जा सकता है। इस कहावत को चरितार्थ करता है ग्राम पंचायत डोड़की में रहने वाले विष्णु प्रसाद का परिवार। एमसीबी जिले के मनेन्द्रगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत डोड़की में रहने वाले किसान विष्णु प्रसाद सिंचाई का साधन पाकर अपने परिवार सहित कड़ी मेहनत से सब्जी की अच्छी खेती करने लगे हैं।
एक किसान परिवार जिसके पास पहले सिंचाई का साधन ना होने से रोजगार और एक सुनिष्चित आमदनी की भारी किल्लत थी वह परिवार अब अपने खेतों से सब्जी बेचकर हर माह लगभग पांच से छ हजार रूपए आसानी से कमाने लगा है। इस परिवार के पास अब सिंचाई की सुविधा है और लगभग एक एकड़ खेतों में यह सालभर सब्जी उत्पादन करके अच्छे से जीवन यापन कर रहे हैं। विष्णु प्रसाद ने बताया कि उनके 14 सदस्यीय बड़े से संयुक्त परिवार के पास लगभग चार एकड़ असिंचित भूमि थी। इनके घर से लगा हुआ एक कुंआ था जो केवल घर की दैनिक आपूर्ति के लिए ही जल दे पाता था। ऐसे में परिवार के पास बारिश की खेती के अलावा कोई काम नहीं रहता था, उनके परिवार के सभी वयस्क सदस्य मनरेगा के अकुशल रोजगार पर ही आश्रित रहते थे।
अपने ग्राम पंचायत में उन्हे निजी भूमि में मनरेगा से कूप खनन कराए जाने की जानकारी प्राप्त हुई तो उन्होंने अपने जमीन के कागजात देकर ग्राम पंचायत से कुआं बनवाने की मांग की। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर उन्हे वर्ष 2019 में निजी भूमि पर कुंआ निर्माण कार्य की स्वीकृति प्राप्त हुई। इस कुंए के निर्माण में परिवार को 100 दिन का रोजगार भी प्राप्त हुआ। डोड़की के किसान विष्णु प्रसाद ने बताया कि कुआं बन जाने के बाद से पूरी जमीन में सिंचाई की सुविधा मिल गई तो पूरा परिवार अपने ही खेतों में सब्जी उत्पादन करने जुट गया। अब हमारे परिवार को रोजगार की ज्यादा चिंता नहीं है। धान की फसल के अलावा भी गेहूं और सब्जी का अच्छा उत्पादन होने लगा है। बाजार में सब्जी बेचकर हर माह पांच छ हजार रुपए की बचत हो जाती है, यह परिवार अब तक 50 हजार रुपए से ज्यादा का लाभ कमा चुका है।
किसान विष्णु प्रसाद कहते हैं कि अब दैनिक खर्च के लिए किसी से उधार नहीं लेना पड़ता है और घर पर पैसों की दिक्कत भी खत्म हुई है। लगभग दो वर्षों से निरंतर विष्णु प्रसाद का परिवार हर सप्ताह स्थानीय बाजार में आसानी से सब्जियां बेचकर अपने दैनिक जरूरतों के लिए रकम जुटा रहा है। पहले दूसरे के खेतों में काम करने वाले इस परिवार के पास अब रोजगार की कोई दिक्क्त नहीं है।
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