मनरेगा का परकोलेशन टैंक बना तार बांध निवासियों के लिए एक बेहतरीन जल संसाधन

बैकुण्ठपुर ,12दिसम्बर  एक ऐसा नाला जो देखरेख के अभाव में धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर था उसे जल संवर्धन के तहत पुनर्जीवित करते हुए उसके जल को परकोलेशन टैंक में रोककर आसपास के ग्रामीणों के लिए एक अच्छा जल संसाधन बना दिया गया है। यह जल संरक्षण व संवर्धन का कार्य जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से लगे ग्राम पंचायत खरवत के तार बांध में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कराया गया है। इस परकोलेशन टैंक के बन जाने से आस-पास रहने वाले लगभग 140 परिवारों को दैनिक उपयोग के लिए आसानी से जल मिलने लगा है साथ ही उनके पशुओं के लिए एक बेहतर पेयजल साधन बन गया है।

इस तार बांध परकोलेशन टैंक के बन जाने से ग्राम पंचायत खरवत के तीन वार्ड में रहने वाले लगभग एक दर्जन किसानों के लिए सिंचाई का साधन मिल गया है और अब केवल धान की खेती करने वाले किसान गेहूं सरसों और सब्जी-भाजी की खेती भी करने लगे हैं। साथ ही शिवपुर चरचा नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 7 और 8 के रहवासी भी इसका निस्तारी तालाब के तौर पर सीधा लाभ ले रहे हैं। इस परकोलेशन टैंक के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती नम्रता जैन ने बताया कि गत वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर ग्राम पंचायत खरवत के तार बांध में एक विलुप्त होते नाले का पानी रोकने के लिए परकोलेशन टैंक का कार्य महात्मा गांधी नरेगा के तहत स्वीकृत किया गया था। 11 लाख 28 हजार की लागत से स्वीकृत इस कार्य में पुराने नाले का सुधार कार्य करते हुए बारिष के पूरे पानी को एक टेंक के रूप में सुरक्षित करने का कार्य मनरेगा से कराया गया।

तारबांध में मनरेगा से निर्मित इस परकोलेषन टैंक के निर्माण से ग्राम पंचायत के रहवासियों को पांच हजार से ज्यादा मानव दिवस का रोजगार प्राप्त हुआ साथ ही उन्हे 9 लाख 95 हजार रूपए मजदूरी की राषि भी सीधे खाते में प्राप्त हुई। इस टेंक का निर्माण कार्य तकनीकी सहायक होरीलाल की देखरेख में पूरा कराया गया जिसकी लंबाई 100 मीटर तथा चैड़ाई लगभग 80 मीटर है। लगभग डेढ़ मीटर गहरे खोदे गए इस परकोलेषन टैंक के बन जाने के बाद आस पास के किसान अनिल खटिक, गुलाब दुबे, चमारू रजक, षिवराम राजवाड़े और समयलाल गोड़ सहित कई किसानों ने धान की फसल समय पर लगाई और इस बार देर से बारिष होने के बाद भी उनके खेतों में धान की अच्छी फसल हुई। इसके बाद यहां के दर्जन भर किसानों ने लगभग 7 हेक्टेयर भूमि पर गेंहूं, सरसों की फसल और अपने खेतों में सब्जी भी लगाई है।

यहां रहने वाले किसान किसान अनिल खटिक, गुलाब दुबे, चमारू रजक, षिवराम राजवाड़े और समयलाल गोड़ बतलाते हैं कि पहले बरसात का पूरा पानी बहकर निकल जाता था और हम उसका कोई लाभ नहीं ले पाते थे वहीं गर्मियों में निस्तार के लिए पानी की बहुत दिक्कत होती थी, पर अब परकोलेषन टेंक बन जाने से सारी समस्याएं एक साथ समाप्त हो गई हैं। अब हमारे दैनिक उपयोग के लिए पर्याप्त पानी है वहीं हमारे पषुओं के लिए साल भर पानी मिलने लगा है। पहले केवल बारिष आधारित धान की फसल लेने वाले अनिल खटिक, चमारू रजक ने अपने तीन-तीन एकड़, षिवराम राजवाड़े ने अपने चार एकड़ खेत में गेंहू, सरसो, और रामदयाल गोड़ ने अपने दो एकड़ खेतों में सरसों और गेंहू के साथ सब्जी की खेती भी की है। मनरेगा से टेंक बन जाने के बाद यहां भूमिगत जल का स्तर भी बढ़िया हो गया है। महात्मा गांधी नरेगा से तार बांध में एक अच्छा जल संसाधन बन जाने से लगभग 1300 की आबादी सीधे लाभान्वित हो रही है।

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