बिलाईगढ़,19 नवंबर। बिलाईगढ़ मुख्यालय के ग्राम पंचायत देवरबोड़ में गरीबों के चावल में डाका डाल गबन करने का मामला सामने आया है। जहां शिकायत के बाद भी गबन करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई नहीं की जा रही है, और न ही राशनकार्ड धारी को उनका चावल दिलाया जा रहा।
देवरबोड़ के ग्रामीणों की माने तो शासकीय उचित मूल्य की दुकान का संचालन. जागृति महिला स्व.सहायता समूह द्वारा किया जा रहा था। जिसमें राशनकार्ड हितग्राहियों को समूह के ही व्यक्ति हरीशचंद द्वारा खाद्यान वितरण किया जाता था। जिनके द्वारा सितंबर माह का चावल देने का हवाला देकर इ.पी.ओ.एस मशीन में राशनकार्ड धारियों से फिंगरप्रिंट ले लिया गया और चावल नहीं दिया गया। साथ ही राशनकार्ड में समान बाकी हैं अंकित कर दिया गया। सबसे बड़ी और हैरान करने वाला बात यह भी है कि देवरबोड़ के सरपंच के राशनकार्ड का भी चावल गबन कर लिया गया है। कई बार ग्रामीणों ने हरीशचंद को चांवल वितरण करने भी बोला। इसके बाद भी उसने हितग्राहियों को चावल वितरित नहीं किया। इसके बाद सभी हितग्राही शिकायत करने एसडीएम कार्यालय पहुंचे और जांच करने मांग की। ग्रामीणों की मांग पर एसडीएम ने टीम गठित कर 17 अक्टूबर को जांच करने देवरबोड़ रवाना किया। जहां जांच में चावल 295.07 क्विंटल,, नमक 11.53 क्विंटल और शक्कर 10.31क्विंटल का अवैध गबन करना पाया गया। जिसके बाद आगे एसडीएम कार्यालय द्वारा 18 अक्टूबर को समूह की अध्यक्ष श्रीमती माहेश्वरी भारतद्वाज को 2 दिन के भीतर अपनी स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने नोटिस जारी किया गया है। अब इस मामलें में अधिकारियों को कार्रवाई करते महीनों बीत गया। परंतु देवरबोड़ के राशनकार्ड धारियों को अब तक न तो चावल दिलाने कोई पहल की गई है, और.. न ही गबन करने वाले व्यक्ति पर कोई कार्रवाई की गई।
वहीं दूसरी ओर मामलें में जब मीडिया के टीम इस मामले में जानकारी लेने एसडीएम कार्यालय पहुंची तो एसडीएम ने मामलें में अनभिग्य बन मीडिया को गोल-मोल जवाब दिया और फूडइंस्पेक्टर का जवाबदारी बताकर जिम्मेदारी से अपना पलड़ा झाड़ लिया। जिसके बाद आगे एसडीएम कार्यालय के ही कर्मचारी के मोबाईल से फूडइंस्पेक्टर राठौर से मीडिया टीम को बात कराई गई। फूडइंस्पेक्टर ने मीडिया को भी विभागीय प्रक्रिया द्वारा कार्यवाही करने का हवाला देकर उल्टे गबन करने वाले व्यक्ति से ही बात कर लेने की बात कह दी।
ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस तरह का जवाब आना… समझ से परे हैं।अब इन जिम्मेदार अधिकारियों की कार्रवाई को महीनों बीत गए हैं, जिससे ग्रामीण परेशान है। और ग्रामीण प्रशासन से न्याय नहीं मिलने की बात कहते। गबन करनेवाले व्यक्ति के खिलाफ थाने में जाकर एफआईआर करवाने की बात कह रही है।
[metaslider id="347522"]