साइलेंट किलर है वायु प्रदूषण, कैसे करें बचाव, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताए उपाय

राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाया नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रदूषित हवा को साइलेंट किलर बताया है। उनका कहना है कि हवा में मौजूद दूषित सूक्ष्म कण पीएम 2.5 गंभीर बीमारियों की वजह बन रहे हैं। सांस के जरिए दूषित सूक्ष्म कण फेफड़ों से होते हुए शरीर के नाजुक अंगों तक पहुंच कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेाषज्ञों का कहना है कि दूषित सूक्ष्म कणों के कारण ही हृदय और श्वसन तंत्र से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो रही हैं। हालांकि उन्होंने लोगों को इससे बचने के कुछ उपाय भी बताए हैं। इन उपायों पर एक नजर…. 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोगों को विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है। खास तौर पर ऐसे लोगों के लिए जिन्हें सांस और दिल की बीमारिया हैं। इन लोगों को ऐसी जगहों पर जाने की जरूरत नहीं है जहां प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है। ऐसे लोगों को यदि किन्हीं वजहों से बाहर जाना पड़ रहा है तो उनको मास्क का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसे लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि बाहर तभी जाएं जब धूप खिली हो। गुलेरिया ने कहा कि वायु प्रदूषण को हम साइलेंट किलर कह सकते हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के चलते अस्पतालों में सांस लेने में कठिनाई महसूस करने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। ओखला के होली फैमिली अस्पताल के डॉ. सुमित राय ने बताया कि ओपीडी में सर्दी, जुकाम और सांस के मरीजों की संख्या में लगभग 30 फीसद का इजाफा हुआ है। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के डॉ. आशीष कुमार प्रकाश ने भी अस्पताल में खांसी, जुकाम और सांस लेने में कठिनाई महसूस करने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की तस्दीक की है। डाक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में ऐसे रोगी भी आ रहे हैं जिन्हें पहले सांस संबंधी तकलीफें नहीं थीं।

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