Vedant Samachar

बलरामपुर पुलिस को मिली बड़ी सफलता,झारखंड से मोस्ट वांटेड माओवादी गिरफ्तार… 2000 से था सक्रिय, कई बड़ी घटनाओं में रहा शामिल

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बलरामपुर 8 अप्रैल 2025 (वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले की पुलिस को नक्सल मोर्चे पर एक और बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में दहशत का पर्याय रहे कुख्यात नक्सल माओवादी राजेन्द्र सिंह खैरवार उर्फ दिलीप जी उर्फ विश्वनाथ को बलरामपुर पुलिस की विशेष टीम ने गढ़वा (झारखंड) के रमकंडा थाना क्षेत्र के उदयपुर गांव से घेराबंदी कर गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस अधीक्षक वैभव बैंकर के निर्देशन में और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विश्वदीपक त्रिपाठी व एसडीओपी कुसमी इम्मानुएल लकड़ा के नेतृत्व में यह बड़ी कार्रवाई की गई। थाना सामरीपाठ की पुलिस टीम ने राजेन्द्र सिंह को उसके घर से गिरफ्तार किया। आरोपी पिछले कई वर्षों से फरार चल रहा था और उस पर छत्तीसगढ़ एवं झारखंड में दर्जनों संगीन नक्सली वारदातों में शामिल होने का आरोप है।

वर्ष 2000 से है नक्सल संगठन से जुड़ा

पुलिस अधीक्षक वैभव बैंकर ने बताया कि राजेन्द्र सिंह खैरवार वर्ष 2000 से पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) के जरिए नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था। बाद में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़ गया और एरिया कमांडर व सबजोनल कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहा। उसके खिलाफ वर्ष 2015 में थाना सामरीपाठ में अपराध क्रमांक 11/2015 धारा 4(ख) विस्फोटक पदार्थ अधिनियम एवं छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। उस पर चुनचुना-पुंदाग मार्ग पर पुलिस बल और सीआरपीएफ को नुकसान पहुंचाने के लिए टिफिन बम लगाकर विस्फोट की साजिश रचने का आरोप है। हालांकि पुलिस की मुस्तैदी से यह बम समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था।

अनेक मुठभेड़ों और हत्याओं में रहा शामिल

राजेन्द्र सिंह खैरवार ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह झारखंड के भंडरिया, रंका, चैनपुर, पलामू, गढ़वा तथा छत्तीसगढ़ के चांदो, रामचंद्रपुर, रघुनाथनगर, बिहारपुर, सामरी क्षेत्र में कई गंभीर नक्सली घटनाओं में शामिल रहा है। उसने पुलिस बल पर फायरिंग, बम विस्फोट, मोबाइल टावर जलाने, आईजी साहब की गाड़ी पर हमले, पुलिसकर्मियों की हत्या, ग्रामीणों की हत्या, अपहरण, रंगदारी वसूली, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसी कई घटनाओं को अंजाम दिया है।

उसने बताया कि वह 2000 से 2015 तक सक्रिय रूप से नक्सली दस्ते के साथ रहा, बीच-बीच में दो बार जेल गया और फिर रिहा होकर पुनः सक्रिय हो गया। 2014 में जेल से छूटने के बाद उसने अपने नक्सली दस्ते के साथ मिलकर पुनः नक्सली गतिविधियों को अंजाम देना शुरू कर दिया।

दर्जनों वारदातों की जिम्मेदारी कबूली

पुलिस पूछताछ में राजेन्द्र सिंह ने बताया कि वह चांदो थाना क्षेत्र के बंदरचुआं, आमाझरिया पुंदाग, पोखर, कंदरी, सोनहत सहित अनेक स्थानों पर बम विस्फोट, गोलीबारी, अपहरण और हत्या में शामिल रहा है। उसने बताया कि 2015 में ग्राम धौरा पारा, सोनहत में पुलिस पार्टी पर हमला भी उसी ने अपने दस्ते के साथ मिलकर किया था।

इस नक्सली की गिरफ्तारी में थाना प्रभारी विजय प्रताप सिंह, प्रधान आरक्षक जेम्स लकड़ा, आरक्षक कृष्णा मरकाम और आदित्य कुजुर की भूमिका सराहनीय रही। इन अधिकारियों की सतर्कता और योजना के चलते यह बड़ी सफलता मिल सकी।

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