विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष
छत्तीसगढ़ और आदिवासी एक-दूसरे के पर्याय हैं। छत्तीसगढ़ के वन और यहां सदियों से निवासरत आदिवासी राज्य की पहचान रहे हैं। प्रदेश के लगभग आधे भू-भाग में जंगल है, जहां छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिम संस्कृति फूलती-फलती रही है। आज से साढ़े तीन साल पहले नवा छत्तीसगढ़ के निर्माण का संकल्प लेते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने आदिवासियों को उनके सभी अधिकार पहुंचाने की जो पहल शुरू की जिससे आज वनों के साथ आदिवासियों का रिश्ता एक बार फिर से मजबूत हुआ है और उनके जीवन में नई सुबह आई है। राज्य में 42 अधिसूचित जनजातियों और उनके उप समूहों का वास है। प्रदेश की सबसे अधिक जनसंख्या वाली जनजाति गोंड़ है जो सम्पूर्ण प्रदेश में फैली है। राज्य के उत्तरी अंचल में जहां उरांव, कंवर, पंडो जनजातियों का निवास हैं वहीं दक्षिण बस्तर अंचल में माडिया, मुरिया, धुरवा, हल्बा, अबुझमाडिया, दोरला जैसी जनजातियों की बहुलता है।
छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है, जो उनके दैनिक जीवन तीज-त्यौहार एवं धार्मिक रीति-रिवाज एवं परंपराओं के माध्यम से अभिव्यक्त होती है। बस्तर के जनजातियों की घोटुल प्रथा प्रसिद्ध है। जनजातियों के प्रमुख नृत्य गौर, कर्मा, काकसार, शैला, सरहुल और परब जन-जन में लोकप्रिय हैं। जनजातियों के पारंपरिक गीत-संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्र, कला एवं संस्कृति को बीते साढ़े तीन सालों में सहेजने-संवारने के साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार ने विश्व पटल पर लाने का सराहनीय प्रयास किया है। अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का भव्य आयोजन इसी प्रयास की एक कड़ी है। प्रदेश सरकार द्वारा आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रायपुर में संग्रहालय की स्थापना वास्तव में आदिवासियों की समृद्ध कला एवं संस्कृति और उनके जीवन से सदियों से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का प्रयत्न है। छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीरनारायण सिंह की स्मृति में लगभग 25 करोड़ 66 लाख रूपए की लागत से 10 एकड़ भूमि में स्मारक-सह-संग्राहलय का निर्माण नवा रायपुर अटल नगर में पुरखौती मुक्तांगन में किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के जनजातीय वर्ग के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जीवंत परिचय प्रदेश और देश के शोध छात्र और आम जनों को हो सकेगा।
छत्तीसगढ़ राज्य के 28 जिलों में से 14 जिले संविधान की 5वीं अनुसूची में पूर्ण रूप से और छह जिले आंशिक रूप से शामिल हैं। राज्य के आदिवासी समुदाय का लिंगानुपात सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन् देश के लिए अनुकरणीय है। इस समुदाय में एक हजार पुरूष पर 1013 महिलाओं की स्थिति लिंगानुपात को लेकर सुखद एहसास है। छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी क्षेत्रों और वहां के जनजीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए प्रयासरत है। यही वजह है कि आदिवासियों का भरोसा व्यवस्था में कायम हुआ है।
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