डीजीसीए ने पिछले कुछ समय से लगातार उड़ान के दौरान हवाई जहाजों में आ रही खराबी को लेकर सख्त रुख अपनाया है. डीजीसीए ने सभी विमान कंपनियों को 28 जुलाई तक का वक्त देते हुए कहा है कि हर उड़ान से पहले तय नियमों के तहत जहाज की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए. अगर इसमें किसी भी तरह की कोई भी दिक्कत है, तो उसे 28 जुलाई तक दूर कर लिये जाएं. डीजीसीए ने इस बात को लेकर हैरानी जताई है कि एयरलाइन कंपनियां लगातार होते हादसों का पता नहीं लगा पा रही हैं. बता दें कि स्पाइसजेट और इंडिगो की फ्लाइटों में दिक्कतें सामने आ चुकी हैं. यहां तक कि इंटरनेशनल उड़ानों को कराची तक में लैंड होना पड़ा है.
केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक के बाद जारी हुए दिशा-निर्देश
जानकारी के मुताबिक, डीजीसीए ने इन दिक्कतों को देखते हुए स्पॉट चेकिंग की तो कई कमियां नजर आईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीजीसीए को पता चला कि एयरलाइंस कंपनियों की तरफ से विमानों में खराबियों का पता लगाने में चूक हो रही है और हवाई अड्डों पर क्वालिफाइड इंजीनियरों की तैनाती नहीं की जा रही है. ऐसे में डीजीसीए ने कहा कि 28 जुलाई तक विमान कंपनियां इन समस्याओं से निपट लें, वर्ना वो कड़ा कदम उठाने से हिचकेगी नहीं. ये निर्देश विमानों की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की एयरलाइंस के बड़े अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद सोमवार को जारी किए गए.
विमान कंपनियां सुरक्षा की कर रहीं अनदेखी
डीजीसीए ने कहा है कि यह भी देखने में आया है कि ट्रांजिट और छोटे स्टेशनों पर एयरलाइंस कैटिगरी ए सर्टिफाइड स्टाफ से ही विमानों को उड़ान के लिए फिट घोषित करा लेती हैं जबकि ये नियम के खिलाफ है. इसे देखते हुए डीजीसीए ने आदेश दिया है कि सभी बेस और ट्रांजिट स्टेशनों पर सभी विमानों को तभी रिलीज किया जाएगा, जब बी1/बी2 लाइसेंस धारी एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर (AME) जांच के बाद उसे सर्टिफाई करेगा. विमान कंपनियों से इस निर्देश का 28 जुलाई तक पालन करने को कहा गया है.
[metaslider id="347522"]