न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ के घोटाले मामले में बैंक के जनरल मैनेजर और हेड अकाउंटेंट हितेश मेहता को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया है।
नई दिल्ली,20 फ़रवरी 2025। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ के घोटाले मामले में बैंक के जनरल मैनेजर और हेड अकाउंटेंट हितेश मेहता को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया है। बता दें कि ईओडब्ल्यू गिरफ्तार हितेश मेहता का लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने जा रही है।
ऐसे में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए पुलिस जल्द ही कोर्ट में एप्लिकेशन दे सकती है। मुंबई पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ईओडब्ल्यू हितेश मेहता का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराएगी। हितेश किसी भी तरह से जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।
साथ ही घोटाले के पैसों का ट्रांजैक्शन कैश में हुआ है इसलिए उस पैसे का क्या हुआ, यह जानने के लिए ईओडब्ल्यू हितेश का लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाएगी।
पुलिस ने बताया कि हम अभी इस मामले में लीगल से बात कर रहे हैं और सभी लीग फॉर्मेलिटी करने के बाद ही लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाया जाएगा। बता दें कि बीते दिनों 122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया था। इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने डेवेलपर को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए डेवेलपर का नाम धर्मेश पौन बताया है। जांच में पता चला कि धर्मेश ने इस मामले में गबन किये गए 122 करोड़ रुपये में से 70 करोड़ रुपये लिए। आर्थिक अपराध शाखा ने बताया कि मुख्य आरोपी जनरल मैनेजर हितेश मेहता से धर्मेश मई और दिसंबर 2024 में 1.75 करोड़ रुपये और जनवरी 2025 में 50 लाख रुपए मिले हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जब पैसे एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच के लिए ट्रांसफर किए जाते थे उस दौरान हितेश मेहता चोरी की वारदात को अंजाम दिया करता था। हितेश मनी ट्रांसफर के दौरान गाड़ी से पैसे निकाल कर अपने घर ले जाता था। आरोपी हितेश मेहता ने प्रभादेवी ब्रांच से 112 करोड़ और गोरेगांव ब्रांच से 10 करोड़ रुपये चुराए थे।
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के एक्टिंग चीफ एकाउंटिंग ऑफिसर देवर्षि घोष ने बताया कि उनकी कंपनी की दो शाखाएं एक प्रभादेवी और दूसरा गोरेगांव में स्थित हैं। दोनों के अलग-अलग फ्लोर पर कैश रखने के लिए एक तिजोरी बनी हुई है, जिसमें बैंक का पैसा रखा जाता है। आरबीआई की तरफ से बैंक की रेगुलर जांच होती है। 12 फरवरी को हुई जांच में प्रभादेवी ब्रांच से लगभग 112 करोड़ रुपए रिकॉर्ड के अनुसार कम मिले। इसके बाद गोरेगांव वाली ब्रांच में भी पैसे कम मिले।