15 अप्रैल के बाद 8वीं तक के बच्चों को स्कूल जाना नहीं होगा अनिवार्य, लेकिन शिक्षकों को नहीं मिली रियायत

रायपुरः8 अप्रैल (वेदांत समाचार)  छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 31 मार्च के स्थान पर 30 अप्रैल तक वृद्धि की गई है। आगामी शैक्षणिक सत्र 01 मई से 15 दिन के अतिरिक्त शैक्षणिक कार्य के लिए प्रारंभ किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में संचालित सभी शासकीय स्कूलों में कक्षा पहली से 8वीं तक के विद्यार्थियों की उपस्थिति 15 अप्रैल के बाद अनिवार्य नहीं होगी, पालक चाहें तो अपने पाल्यों को अध्यापन के लिए विद्यालय भेज सकते हैं, परन्तु शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी

स्कूल संचालन और बच्चों तथा शिक्षकों की उपस्थिति के संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा सभी संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में छत्तीसगढ़ राज्य में पहले से ही यह नीति है कि कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों को परीक्षा के आधार पर पिछली कक्षा में नहीं रोका जाता है।

कक्षा पहली से 8वीं तक के समस्त बच्चों को सामान्य रूप से वर्तमान शिक्षा सत्र में अगले कक्षा में प्रवेश दिया जाता है। प्रदेश के सभी विद्यालयों में बच्चों की अकादमिक उपलब्धियों का सतत् मूल्यांकन किया जाता है। इसके आधार सभी बच्चों को आवश्यक शिक्षण देने की व्यवस्था की जाती है। इस वर्ष भी राज्य में कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों के लिए यह नीति लागू रहेगी।रायपुरः छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 31 मार्च के स्थान पर 30 अप्रैल तक वृद्धि की गई है। आगामी शैक्षणिक सत्र 01 मई से 15 दिन के अतिरिक्त शैक्षणिक कार्य के लिए प्रारंभ किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में संचालित सभी शासकीय स्कूलों में कक्षा पहली से 8वीं तक के विद्यार्थियों की उपस्थिति 15 अप्रैल के बाद अनिवार्य नहीं होगी, पालक चाहें तो अपने पाल्यों को अध्यापन के लिए विद्यालय भेज सकते हैं, परन्तु शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी

स्कूल संचालन और बच्चों तथा शिक्षकों की उपस्थिति के संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा सभी संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में छत्तीसगढ़ राज्य में पहले से ही यह नीति है कि कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों को परीक्षा के आधार पर पिछली कक्षा में नहीं रोका जाता है।

कक्षा पहली से 8वीं तक के समस्त बच्चों को सामान्य रूप से वर्तमान शिक्षा सत्र में अगले कक्षा में प्रवेश दिया जाता है। प्रदेश के सभी विद्यालयों में बच्चों की अकादमिक उपलब्धियों का सतत् मूल्यांकन किया जाता है। इसके आधार सभी बच्चों को आवश्यक शिक्षण देने की व्यवस्था की जाती है। इस वर्ष भी राज्य में कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों के लिए यह नीति लागू रहेगी।

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