संयुक्त राष्ट्र मनवाधिकार परिषद से रूस को बाहर का रास्ता दिखा गया। इसके लिए कल संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग हुई। हालांकि, भारत गैरहाजिर रहा। संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के मानवाधिकार परिषद से रूस के निलंबन की मांग के प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया।
उन्होंने कहा, “हम दृढ़ता से मानते हैं कि सभी निर्णय पूरी तरह से उचित प्रक्रिया का सम्मान करते हुए लिए जाने चाहिए। हमारी सभी लोकतांत्रिक राजनीति और संरचनाएं हमें ऐसा करने का आदेश देती हैं। यह अंतरराष्ट्रीय संगठनों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र पर भी लागू होता है।”
आपको बता दें कि यूएन के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है। इससे पहले 2011 में लीबिया को इससे बाहर कर दिया गया था, जब उसने किसी देश के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की थी।
तिरुमूर्ति ने UNGA में कहा, “यूक्रेनी संघर्ष की शुरुआत के बाद से भारत शांति, संवाद और कूटनीति के लिए खड़ा रहा है। हमारा मानना है कि खून बहाकर और जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। यदि भारत ने किसी भी पक्ष को चुना है तो वह शांति का पक्ष है। हम हिंसा को तत्काल समाप्त करने के पक्ष में हैं।
उन्होंने कहा, “हम बिगड़ती स्थिति पर गहराई से चिंतित रहना जारी रखते हैं। सभी शत्रुताओं को समाप्त करने के लिए अपने आह्वान को दोहराते हैं। जब निर्दोष मानव जीवन दांव पर होता है, तो कूटनीति एकमात्र विकल्प के रूप में प्रबल होना चाहिए।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत बुचा में हत्याओं की निंदा करता है। उन्होंने कहा, “हम एक स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करते हैं। बढ़ते संघर्ष के प्रभाव को विकासशील देशों में साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। खाद्य और ऊर्जा लागत बढ़ रहे हैं।”
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