ग्रेस मार्क्स से पास हुई अभिषेक बच्चन की फिल्म दसवीं, मूवी देखने से पहले जान लें ये रिव्यू

बॉलीवुड न्यूज़। 7 अप्रैल (वेदांत समाचार)   ‘मेरे बेटे, बेटे होने से मेरे उत्तराधिकारी नहीं होंगे, जो मेरे उत्तराधिकारी होंगे, वो मेरे बेटे होंगे’. अभिषेक बच्चन की मूवी ‘दसवीं’ की रिलीजसे ठीक एक दिन पहले अमिताभ बच्चन ने अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की ये पंक्तियां लिखने के साथ ही लिखा कि, आमतौर पर अभिषेक की हर मूवी को देखकर वो उनकी तारीफ करते हैं, लेकिन इस तरह की जबरदस्त तारीफ ‘गुरु’ जैसी गिनती की फिल्मों को ही मिली है. लेकिन इससे आप ये ना मान लें कि ‘दसवीं’ गुरु होने जा रही है, लेकिन ये जरूर तय है कि अभिषेक ने इस मूवी में उसी तरह का रिस्क लिया है, या कह सकते हैं कि बड़ा एक्सपेरिमेंट किया है.

अभिषेक ने बोली ठेठ हरियाणवी

इस मूवी के डायरेक्टर तुषार जलोटा अब तक जिन फिल्मों में बतौर सेकंड यूनिट डायरेक्टर जुड़े रहे यानी ‘बरफी’, ‘रामलीला’, ‘पद्मावत’ में एक खास बात थी कि ये तीनों ही एक खास किस्म के माहौल में रची बसी थीं, एक खास किस्म की भाषा उसके पात्र बोलते थे, तो जब तुषार ने अपनी मूवी डायरेक्ट  करने की सोची तो भी आइडिया उसी तरह का लिया कि एक खास किस्म के माहौल में हो, तो उनकी मूवी हरियाणा के चौधराहट वाले माहौल में बनी है. सोचिए अभिषेक बच्चन को आप ठेठ हरियाणवी बोलते देखेंगे, तो कैसा लगेगा. अभिषेक   के लिए भी ये आसान नहीं रहा होगा और दिलचस्प बात है कि ‘गुरु’ के किरदार की तरह अभिषेक इस रोल में भी पूरी तरह घुस गए हैं, हालांकि दर्शकों को शुरुआत में ये आसानी से पचता नहीं है, लेकिन फिर सामान्य हो जाता है.

राजनैतिक परिवारों से प्रेरित है फिल्म

कहानी देश के दो बड़े राजनैतिक परिवारों political family  से प्रेरित लगती है और उन्हें जोड़कर एक नई व तीसरी कहानी ही रच दी गई है ताकि विवादों से बचा जाए. एक कहानी ओमप्रकाश चौटाला की और दूसरी लालू यादव- राबड़ी देवी की. हालांकि, मूवी में बैकग्राउंड हरियाणा का लिया गया है. डायरेक्टर ने इसके लिए ‘एयरलिफ्ट’, ‘कहानी’, ‘D-डे’ जैसी सुपरहिट मूवीज की लेखक जोड़ी सुरेश नैयर और रितेश शाह को जिम्मेदारी सौंपी. ‘पिंक’ के डायलॉग्स के लिए तो रितेश की काफी तारीफ भी हुई थी.

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